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श्रीगंगानगर के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार ‘आशु ‘ गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार से कोटा में किया सम्मानित

Sriganganagar's litterateur Dr. Krishna Kumar 'Ashu' honored with Gaurishankar Kamlesh Award in Kota

कोटा। ज्ञान भारती संस्था कोटा द्वारा 30वां गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार एवं सम्मान समारोह रविवार को आयोजित किया गया। इसमें श्रीगंगानगर निवासी साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार ‘आशु ‘ (Writer Dr. Krishna Kumar ‘Ashu) को वर्ष 2023 के गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार से सम्मानित (Honored with Gaurishankar Kamlesh Award) किया गया। मुख्य अतिथि तरुण मेहरा, अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा निदेशक शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा और ख्यातनाम कवि विश्वामित्र दाधीच, सुरेंद्र शर्मा और जितेन्द्र निर्माेही के सरस्वती पूजन और दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुआ। सरस्वती वंदना सुरेश पंडित द्वारा की गई।

अपने वक्तव्य में जितेन्द्र निर्माेही ने कहा कि हम 2028 में कमलेश जी का शताब्दी वर्ष मनाने जा रहे हैं। गौरीशंकर कमलेश निराला की परंपरा के कवि थे, जिन्होंने हाड़ौती अंचल में राजस्थानी भाषा साहित्य परंपरा को खड़ा किया। उसके बाद राजस्थानी भाषा की महनीय लेखिका कमला कमलेश ने उसे आगे बढ़ाया। ज्ञान भारती संस्था कोटा का राजस्थानी भाषा साहित्य को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उसी परंपरा को उनके पुत्र सुरेंद्र शर्मा और उनका परिवार आगे बढ़ा रहा है। आज़ के गौरी शंकर कमलेश राजस्थानी भाषा पुरस्कार 2023 प्राप्त करने वाले साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार आशु प्रगतिशील लेखकों की उस परंपरा को समृद्ध करते हैं जहां भारतीय संस्कृति के प्रति जागरुकता और समर्पण भाव दिखाई देता है। पुरस्कृत राजस्थानी कहानी कृति’च्यानणै रा ॳनाण’ के वो आदर्शवादी नायक दिखाई देते हैं। उनकी कहानियों में मानवीय संवेदना और भारतीय जीवन मूल्य दिखाई देते हैं। कमला कमलेश राजस्थानी भाषा साहित्य से समादृत लेखिका डॉ कृष्णा आचार्य का भारतीय वांग्मय से जुड़कर विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महिलाओं के जीवन वृत्त लिखना एक अनूठा कार्य है। गौरीशंकर सम्मान प्राप्त इतिहासकार फिरोज़ अहमद चलते फिरते इतिहास के एनक्लोसाइपिडिया है। उनके इतिहास ज्ञान का लोहा अच्छे अच्छे इतिहासकार मानते हैं।

आयोजन के मुख्य अतिथि तरुण मेहरा ने कहा राजस्थानी भाषा साहित्य के प्रति समर्पित संस्था ज्ञान भारती को मैं साधुवाद करता हूं कि उसने राजस्थानी भाषा के जाने-माने साहित्यकारों का यहां से सम्मानित किया है, इनमें पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार भी है। अध्यक्षता कर रहे विश्वामित्र दाधीच ने कहा ग़ौरी शंकर कमलेश शताब्दी वर्ष मनाने की इच्छा रखना एक महत्वपूर्ण सारस्वत अनुष्ठान को पूरा करने जैसा कार्य है।

गंगानगर के डा कृष्ण कुमार आशु को गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार 2023 के अंतर्गत 11000/ नकद राशि, शाल श्रीफल सम्मान पत्र प्रदान कर समादृत किया। इसी प्रकार बीकानेर की डॉ कृष्णा आचार्य को पांच हजार रुपए नकद शाल श्रीफल सम्मान पत्र प्रदान किया। इतिहासकार फिरोज़ अहमद को भी तदानुसार शाल श्रीफल सम्मान पत्र प्रदान कर समादृत किया गया।

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डॉ कृष्ण कुमार आशु पर पत्रवाचन योगेश यथार्थ ने किया। डॉ कृष्णा आचार्य पर पत्रवाचन मंजू रश्मि ने किया और फिरोज अहमद इतिहासकार के बारे में जानकारी महेश पंचौली ने दी। समादृत साहित्यकारों ने अपने विचार रखते हुए कहा लिखना सहज कार्य नहीं है। समारोह का संचालन नहुष व्यास ने किया और धन्यवाद एडवोकेट सुरेंद्र शर्मा द्वारा दिया गया।

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