चित्तौड़गढ़। उम्र सिर्फ एक संख्या है, और इसे साबित कर रहे हैं राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के प्रतापनगर निवासी सरपाल सिंह अरोड़ा। 81 साल की उम्र में भी उनके भीतर शिक्षा का ऐसा जुनून है कि वे नियमित रूप से लॉ कॉलेज जाकर पढ़ाई कर रहे हैं। अपने पोते-पोतियों की उम्र के बच्चों के साथ क्लास में बैठकर पढ़ाई करने वाले सरपाल न सिर्फ खुद को प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि युवाओं के लिए एक मिसाल भी बन गए हैं।
पढ़ाई का जुनून: एमए करने के बाद पहुंचे लॉ कॉलेज
सरपाल सिंह अरोड़ा ने बताया कि उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी। बीए में अंक कम होने की वजह से लॉ में प्रवेश मिलना मुश्किल हो रहा था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इतिहास विषय में एमए प्रथम श्रेणी से पास करने के बाद उन्होंने महाराणा प्रताप लॉ कॉलेज में एलएलबी में दाखिला लिया। आज वे रोजाना कॉलेज जाते हैं और पढ़ाई में पूरी लगन से जुटे रहते हैं।
कॉलेज के प्राचार्य एसडी व्यास ने बताया कि जब सरपाल सिंह एडमिशन के लिए आए तो उनकी उम्र देखकर स्टाफ भी हैरान रह गया। हालांकि, उनकी पढ़ाई के प्रति लगन ने सबको प्रभावित किया।
40 साल बाद फिर कॉलेज की चौखट पर
सरपाल सिंह ने अपनी पिछली डिग्री 1984 में पूरी की थी। इसके 40 साल बाद, 2023 में उन्होंने फिर से कॉलेज का रुख किया।
उन्होंने बताया,”जीवन में कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। जब तक आप व्यस्त रहेंगे, तब तक आप जीवन से जुड़े रहेंगे।”
उद्देश्य अपना केस खुद लड़ने की तैयारी
सरपाल सिंह का एक भूखंड विवाद अदालत में लंबित है। उन्होंने बताया कि वे अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी कर इस केस को खुद लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा,
“कानूनी ज्ञान सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है। यह जीवन को समझने और अपनी समस्याओं को सुलझाने का जरिया भी है।”
युवाओं के साथ पढ़ाई: प्रेरणा का स्रोत
सरपाल सिंह अपने पोते-पोतियों की उम्र के बच्चों के साथ क्लास में बैठते हैं। उनके साथ बैठने में न कोई शर्म महसूस होती है और न ही कोई असहजता। उन्होंने बताया, “युवाओं की याददाश्त और एनर्जी बेहतरीन होती है। उनसे सीखने को मिलता है। क्लास में हंसी-मजाक भी होता है और पढ़ाई भी।” क्लास के बच्चे भी उनका सम्मान करते हैं। उनके अनुसार, “युवा पीढ़ी के साथ पढ़ाई करना न केवल उत्साहवर्धक है, बल्कि एक नई दृष्टि भी देता है।”
स्वास्थ्य और प्रेरणा का मंत्र: वाहे गुरु पर विश्वास
सरपाल सिंह ने बताया कि इस उम्र में स्वास्थ्य उनका सबसे बड़ा साथी है। वाहे गुरु पर भरोसा और सकारात्मक दृष्टिकोण उनकी ऊर्जा का स्रोत है।
उन्होंने कहा, “वाहे गुरु पर भरोसा है। वे न केवल जिंदा रखेंगे, बल्कि मेरी पढ़ाई भी पूरी करवाएंगे।”
एलएलबी के बाद पीएचडी का लक्ष्य
सरपाल सिंह यहीं रुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने बताया कि लॉ की डिग्री के बाद वे पीएचडी करने का इरादा रखते हैं। उनका मानना है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती और जीवन भर सीखते रहना ही सफलता का असली मंत्र है।
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कॉलेज प्रशासन का सहयोग
कॉलेज के प्राचार्य एसडी व्यास ने बताया कि सरपाल सिंह जैसे जुनूनी छात्र बहुत कम देखने को मिलते हैं। “उम्र के इस पड़ाव में भी सरपाल सिंह में सीखने की ललक और दृढ़ता युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है।”