जयपुर। बीजेपी का सदस्यता अभियान पूरे देश में जोर-शोर से चल रहा है, लेकिन राजस्थान में यह अभियान कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। पार्टी ने 15 अक्टूबर तक 1.25 करोड़ सदस्य बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, लेकिन अब तक मात्र 36 लाख सदस्य ही बन पाए हैं। इसके पीछे बड़ी वजह है सदस्यता प्रक्रिया में शामिल वन टाइम पासवर्ड (OTP), जिसे लेकर लोगों में साइबर फ्रॉड का डर है।
साइबर फ्रॉड का डर बना बाधा
राजस्थान में बीजेपी के सदस्यता अभियान (BJP’s membership campaign in Rajasthan) के सह संयोजक, मोतीलाल मीणा ने बताया कि लोगों के बीच साइबर फ्रॉड की घटनाओं के चलते ओटीपी शेयर करने से हिचकिचाहट हो रही है। आए दिन बैंक फ्रॉड और अन्य ऑनलाइन धोखाधड़ी (Bank Fraud and Other Online Frauds) की खबरों ने लोगों को सतर्क बना दिया हैं। खासतौर पर कम जानकारी रखने वाले लोग, ओटीपी प्रक्रिया में आगे बढ़ने से घबराते हैं। कई बार लोग मिस्ड कॉल तो कर देते हैं, लेकिन ओटीपी आते ही ठिठक जाते हैं।
नेटवर्क समस्या ने बढ़ाई मुश्किलें
ओटीपी प्रक्रिया के साथ एक और चुनौती है, वो है नेटवर्क की समस्या। भरतपुर, अलवर, और उदयपुर संभाग के आदिवासी क्षेत्रों में नेटवर्क का अभाव लोगों को सदस्य बनने में रोड़ा बन रहा है। सवाईमाधोपुर और बारां जैसे इलाकों में कई बार मिस्ड कॉल या क्यूआर कोड स्कैन करने के बावजूद ओटीपी नहीं आ रहा है, जिससे सदस्यता प्रक्रिया अधूरी रह जाती है।
ऑफलाइन प्रक्रिया से हल ढूंढने की कोशिश
इस समस्या को देखते हुए बीजेपी ने ऑफलाइन प्रक्रिया भी शुरू करने का निर्णय लिया है। पार्टी ने राजस्थान के सभी जिलों में 18 लाख 82 हजार बुकलेट भेजी हैं, जिनसे 25-25 सदस्य बनाए जा सकते हैं। जिलों से बुकलेट मण्डल, फिर बूथ तक भेजी जा रही हैं, ताकि सदस्य बनाने की प्रक्रिया को तेज किया जा सके।
कैसे बने बीजेपी सदस्य?
बीजेपी का सदस्य बनना अब बेहद आसान है। आप नमो ऐप, बीजेपी की वेबसाइट, क्यूआर कोड या टोल-फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल देकर सदस्य बन सकते हैं। मिस्ड कॉल या क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आएगा। इस ओटीपी को दर्ज कर, आपको एक फॉर्म भरना होगा। फॉर्म सबमिट करने के बाद आप बीजेपी के सदस्य बन जाएंगे।
सदस्यता के साथ आपको एक रेफरल कोड मिलेगा, जिससे आप नए सदस्यों को भी जोड़ सकते हैं। अगर आप पार्टी का सक्रिय सदस्य बनना चाहते हैं, तो आपके रेफरल कोड से 100 सदस्य बनना अनिवार्य है।
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बीजेपी के इस अभियान को साइबर फ्रॉड और नेटवर्क जैसी समस्याओं से भले ही चुनौती मिल रही हो, लेकिन पार्टी ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए नए कदम उठाए हैं। अब देखना होगा कि आगामी दिनों में यह अभियान किस तरह से रफ्तार पकड़ता है।