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नेता ही नही सरकारी कर्मचारियों को भी है चुनाव लड़ने का नशा, कईयों ने छोड़ी नौकरी

नेता ही नही सरकारी कर्मचारियों को भी है चुनाव लड़ने का नशा, कईयों ने छोड़ी नौकरी

राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan assembly elections) के लिए मतदान 25 दिसंबर को होना है। इस बार चुनावी मैदान में कई दिग्गज नेता हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव लड़ने का चस्का केवल नेताओं को ही नहीं, बल्कि सरकारी कर्मचारियों (government employees) को भी है। वह भी ऐसा कि नेतागिरी के लिए उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी और राजनीति की राह पर चल पड़े।

राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र से करीब 6 सरकारी कर्मचारी ऐसे रहे जिन्होंने नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ा और विधायक भी बने। इस लिस्ट में पहला नाम है आता है वो है ललित किशोर चतुर्वेदी का जो उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर थे। पहली बार तो इन्होंने 1977 में चुनाव लड़ा और फिर इसके बाद 1980 से लेकर 1990 और फिर 1993 में विधायक के पद का चुनाव जीता। वहीं कैबिनेट मंत्री और राज्यसभा सांसद की जिम्मेदारी भी संभाली।

इसी तरह कोटा की पीपल्दा विधानसभा सीट से हीरालाल आर्य पहले टीचर थे लेकिन उन्होंने वर्ष 1977 में चुनाव लड़ा और जीते भी। उसके बाद 1980 से 1993 तक वे राजनीति में सक्रिय हो गए और चुनाव भी लगातार जीता। हीरालाल चार बार विधायक बने। वहीं इसी सीट से प्रभुलाल महावर को साल 2003 में मौका दिया गया जो इरीगेशन डिपार्टमेंट के सहायक इंजीनियर थे। उन्होंने 415 वोटो से चुनाव जीता था।

जबकि वहीं बाबूलाल वर्मा भी बैंक की नौकरी छोड़कर 1993 में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। फिर इसके बाद 2003 और 2013 में भी केशोरायपाटन से विधायक चुने गए। इसी तरह सीएल प्रेमी, रामपाल मेघवाल भी नौकरियां छोड़कर चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

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