चूरू। राजस्थान के चूरू जिले में आबकारी विभाग में करोड़ों रुपये की हेराफेरी (Fraud worth crores of rupees in Excise Department) का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि खुद आबकारी विभाग का एक सरकारी कर्मचारी निकला, जिसने शराब ठेकेदारों के साथ मिलकर राज्य सरकार को साडे आठ करोड़ से ज्यादा की आर्थिक चपत लगाई। यह मामला उस वक्त उजागर हुआ, जब साइबर थाना पुलिस ने आबकारी विभाग में 8.54 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश (Cyber fraud worth Rs 8.54 crore exposed in Excise Department) किया और चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
मामले की शुरुआत तब हुई, जब आबकारी विभाग के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की। विभाग के कर्मचारी अजय कुमार ने आबकारी सॉफ्टवेयर के एडजस्टमेंट हेड में छेड़छाड़ कर 29 शराब ठेकेदारों के आबकारी शुल्क, बेसिक लाइसेंस फीस और परमिट फीस (Excise duty, basic license fee and permit fee) की रकम को सरकारी खाते में जमा कराए बिना ही क्रेडिट कर दिया। इसके बाद उसने इस राशि को ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर अपने कब्जे में ले लिया।
मामले का खुलासा होते ही मचा हड़कंप
इस बड़े घोटाले का खुलासा होते ही विभाग में हड़कंप मच गया। जिला आबकारी अधिकारी ने तुरंत अलग-अलग थानों में मामले दर्ज करवाए और आबकारी आयुक्त को इसकी जानकारी दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी जय यादव (SP Jai Yadav) ने इसे साइबर थाने को स्थानांतरित किया। साइबर थाना पुलिस ने इस केस की गहराई से जांच शुरू की।
तकनीकी जांच कर सबूत जुटाए
जांच के दौरान साइबर थाना पुलिस ने आबकारी कार्यालय से डिजिटल रिकॉर्ड और अन्य साक्ष्य जुटाए (Collect digital records and other evidence)। इसके लिए लगभग 4 करोड़ आईपी एड्रेस खंगाले (4 crore IP addresses scanned) गए। गहन जांच के बाद पुलिस ने आबकारी विभाग के कर्मचारी एलडीसी अजय कुमार और तीन अन्य आरोपियों, राजकुमार, विकास यादव, और नरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया।
कौन है मास्टरमाइंड अजय कुमार?
अजय कुमार, जो 2016 से जिले के राजगढ़ सर्किल में कार्यरत है, इस पूरे फ्रॉड का मास्टरमाइंड है। उसने सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ (tampering with software) कर 29 शराब दुकानों के जरिए यह घोटाला अंजाम दिया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि अजय कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ठेकेदारों को लालच दिया और उनके साथ मिलकर सरकारी धन को हड़प लिया।
अब तक 8.52 करोड़ रुपये के इस फ्रॉड की पुष्टि हुई है। हालांकि, जांच अधिकारियों का मानना है कि इस गबन में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। फिलहाल गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें रिमांड पर लिया गया है।
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जांच अधिकारी यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या इस घोटाले में और कर्मचारी या ठेकेदार शामिल हैं। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी का फायदा उठाने के लिए और किन-किन तरीकों का इस्तेमाल किया गया।