राजस्थान के जोधपुर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जिले के सांगरिया इलाके में एक बड़ी छापेमारी की, जिसमें करीब 37.5 लाख रुपए नकद और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए हैं। यह कार्रवाई ऑनलाइन ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग (Online fraud and money laundering) के एक मामले में की गई, जिसका मुख्य आरोपी राकेश चौधरी है। राकेश पर आरोप है कि वह एक बड़े ऑनलाइन फ्रॉड गिरोह का सरगना है, जिसने सैकड़ों लोगों से पैसे ठगे और खुद को करोड़पति बन गया।
छापेमारी का पूरा मामला
गुरुवार सुबह से प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने जोधपुर के सांगरिया (Sangria of Jodhpur) क्षेत्र में स्थित हीरालाल चौधरी के घर पर तलाशी अभियान शुरू किया। छापेमारी की खबर दोपहर में सार्वजनिक हुई, जिसके बाद यह जानकारी सामने आई कि ईडी ने घर से 37.5 लाख रुपए नकद जब्त किए (ED seized Rs 37.5 lakh cash from the house) हैं। इसके साथ ही जमीनों के दस्तावेज और अन्य वित्तीय दस्तावेज भी बरामद (Land documents and other financial documents also recovered) किए गए हैं, जो इस ठगी के मामले की गहरी कड़ी को उजागर कर सकते हैं।
राकेश चौधरी का काले कारोबार का पर्दाफाश
राकेश चौधरी, जिसे स्थानीय लोग रिक्की चौधरी के नाम से भी जानते हैं, पर आरोप है कि उसने एक ऑनलाइन ठगी का रैकेट खड़ा किया, जिसमें सैकड़ों युवकों को झांसा देकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाए गए। राकेश ने इन खाता धारकों से कमीशन के रूप में पैसे इकट्ठा किए, और इसके बाद उन पैसों को किराए के खातों में ट्रांसफर किया।
ईडी की जांच में यह सामने आया है कि राकेश और उसके गिरोह ने कई लोगों से ठगी करके करोड़ों रुपए कमाए, और अब उन पैसों से संपत्ति बना ली है। राकेश के साथ 60-70 युवक जुड़कर काम कर रहे थे, जो उसके ठगी के धंधे को फैलाने में मदद कर रहे थे। इन युवकों को झांसा देकर उनके बैंक खाते खुलवाए गए थे, जिनमें राकेश ने ठगी की गई रकम जमा की।
इसके अलावा, राकेश ने स्विमिंग पूल और लग्जरी लाइफस्टाइल (Swimming pool and luxury lifestyle) के पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा किए, जिनसे उसके काले धन के बारे में कुछ संकेत मिले। राकेश चौधरी, जो 30 साल का है, ने जीडी मेमोरियल कॉलेज से अपनी पढ़ाई की थी और शुरूआत में कस्टमर सर्विस का काम किया। 2015 में उसने अपना कस्टमर सर्विस का काम छोड़ दिया और विदेश की एक मेडिकल कंपनी के साथ बिलिंग का कार्य शुरू किया। हालांकि, वह जल्दी ही ऑनलाइन ठगी के धंधे में उतर गया, जहां उसने अपनी सारी कमाई ठगी के जरिए बनाई।
राकेश के पिता, हीरालाल चौधरी, एक सामान्य किसान मजदूर थे, और राकेश का जीवन पहले बहुत साधारण था, लेकिन अब वह लक्ज़री लाइफ जीने लगा था। पुलिस के सूत्रों से पता चला है कि राकेश चौधरी और उसके पिता छापेमारी के दौरान घर से फरार हो गए। हीरालाल और राकेश की तलाश जारी है, और पुलिस दोनों की गिरफ्तारी के लिए पूरी कोशिश कर रही है। अगर राकेश की गिरफ्तारी होती है, तो यह पूरे नेटवर्क के बारे में कई अहम खुलासे कर सकती है, और मनी लॉन्ड्रिंग के इस बड़े मामले का पर्दाफाश हो सकता है।
ठगी की रकम से संपत्ति में निवेश
राकेश ने अपने ठगी के पैसों का निवेश भूमि और संपत्तियों में किया (Invested the defrauded money in land and properties) । ठगी के पैसे से खरीदी गई संपत्तियों में उसकी लैंड होल्डिंग्स और इंवेस्टमेंट्स की जानकारी भी सामने आ रही है। इसके अलावा, उसने सोशल मीडिया पर अपने स्विमिंग पूल और ऐशो-आराम की तस्वीरें भी पोस्ट की थीं, जिससे उसकी बढ़ती संपत्ति का पता चलता है।
यह भी पढ़े: JJM: राजस्थान में महंगा होगा पीने का पानी: मुफ्त सुविधा अब खत्म
ईडी की छापेमारी इस बात की ओर इशारा करती है कि ऑनलाइन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। राकेश चौधरी जैसे अपराधियों को पकड़ना और उनके नेटवर्क को समाप्त करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही, साइबर क्राइम और ऑनलाइन ठगी के मामलों में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि वे इस तरह के धोखाधड़ी से बच सकें।