in

भ्रष्टाचार रोकने वाले पर ही रिश्वत लेने का आरोप, DIG विष्णुकांत समेत 3 के खिलाफ ACB में केस दर्ज

Accused of taking bribe on the one who stopped corruption, case registered in ACB against 3 people including DIG Vishnukant

जयपुर। भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचने और भ्रष्टाचार के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई करने वाली भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों (ACB) के ही एक तत्कालीन डीआईजी (DIG) पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हैं। न केवल आरोप लगे हैं बल्कि एसीबी ने खुद केस (FIR) भी दर्ज किया है।

यह पूरा मामला एसीबी के तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत से जुड़ा है। जिन्होंने भ्रष्टाचार के एक मामले में एक हेड कांस्टेबल का नाम FIR से निकालने और उसे अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए 9.50 लाख रुपए की रिश्वत ली। FIR में से हेड कांस्टेबल का नाम निकालने के पूरे प्रकरण को लेकर परिवादी सत्यपाल पारीक ने राजस्थान के DGP को परिवाद भेज अवगत कराया।

जिस पर डीजीपी ने 11 जनवरी 2023 को एसीबी को परिवाद भेज कर उसकी जांच करने के निर्देश दिए। एसीबी द्वारा परिवाद की जांच की गई साथ ही परिवादी द्वारा जो भी सबूत उपलब्ध कराए गए उनकी FSL जांच कराई गई। FSL रिपोर्ट व अन्य तमाम तथ्यों के आधार पर 1 मई 2024 को एसीबी में FIR दर्ज की गई।

ACB ने DIG विष्णुकांत, हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल प्रताप सिंह के खिलाफ थ्प्त् दर्ज कर उसकी जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन विंग के ASP सुनील सियाग को दी है।

बतादे, वर्ष 2021 में एसीबी ने ट्रैप करते हुए जवाहर सर्किल थाने के हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और सिपाही लोकेश को रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किया था। प्रकरण में से हेड कांस्टेबल सरदार सिंह का नाम निकालने के लिए एसीबी के तत्कालीन डीआईजी और वर्तमान में होमगार्ड आईजी विष्णुकांत से संपर्क किया गया।

हेड कांस्टेबल सरदार सिंह का भाई कांस्टेबल प्रताप सिंह पूर्व में विष्णु कांत का गनमैन रह चुका था। ऐसे में उसने विष्णु कांत से संपर्क कर मदद मांगी और अपने बड़े भाई सरदार सिंह का नाम FIR में से हटाने की गुहार लगाई। परिवादी ने आरोप लगाए कि तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत ने एसीबी के तत्कालीन DG बीएल सोनी के नाम पर 25 लाख रुपए की मांग की और बाद में सौदा 10 लाख रुपए में तय हुआ।

इसके बाद कांस्टेबल प्रताप सिंह ने डीआईजी विष्णुकांत को 9.50 लाख रुपए रिश्वत के रूप में दिए और उसके बाद एसीबी ने अपनी FIR में से हेड कांस्टेबल सरदार सिंह का नाम निकाल दिया। FIR में से नाम निकालने का अधिकार केवल DG और ADG स्तर के अधिकारी को ही होता है। ऐसे में तत्कालीन DG और ADG की भूमिका भी इस पूरे मामले में संदिग्ध मानी जा रही है।

FIR में से हेड कांस्टेबल का नाम निकालने की बात जब परिवादी सत्यपाल पारीक को पता चली तो उसने अपने स्तर पर तमाम सबूत जुटाए। परिवादी ने जांच के लिए एसीबी को कुल 9 ऑडियो और वीडियो क्लिप उपलब्ध कराए। जिसमें तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत और कांस्टेबल प्रताप सिंह के बीच हुई वार्ता।

वहीं परिवादी सत्यपाल पारीक, हेड कांस्टेबल सरदार सिंह, कांस्टेबल प्रताप सिंह और रवि कुमार के बीच में हुई वार्ता की वीडियो रिकॉर्डिंग और अन्य क्लिप शामिल हैं। वही परिवादी ने तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत, हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल प्रताप सिंह के बीच हुई वार्ता की वॉइस क्लिप भी एसीबी को जांच के लिए उपलब्ध करवाए।

परिवादी द्वारा दिए गए तमाम सबूतों का FSL परीक्षण कराया गया। जिसके बाद अब जाकर तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत, हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल प्रताप सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 8 और 12 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

FIR दर्ज करने के साथ ही एसीबी ने इसकी जानकारी ACB कोर्ट, कार्मिक विभाग के शासन उप सचिव, पुलिस कमिश्नरेट सहित अन्य संबंधित विभागों को भी दी है। फिलहाल मुकदमा दर्ज कर एसीबी ने मामले की उच्च स्तरीय जांच करना शुरू किया है।

यह भी पढ़े :  भीलवाड़ा में ग्राम विकास अधिकारी 1 लाख 50 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

भ्रष्टाचार पर प्रहार करने वाली संस्थान पर अब खुद के ही एक तत्कालीन DIG द्वारा भ्रष्टाचार किए जाने के संगीन आरोप लगे हैं। अब देखना होगा कि इस पूरे मामले की जांच कर एसीबी इस मामले में किस तरह से दूध का दूध और पानी का पानी कर पाती है।

सिटी न्यूज़ राजस्थान चैनल को फॉलो करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Information about new laws given to women during training in Kota

कोटा में प्रशिक्षण में महिलाओं को दी नए कानूनों की जानकारी

Can the picture of cabinet change in Rajasthan? Possibility of reshuffle after election results

क्या राजस्थान में बदल सकती है मंत्रिमंडल की तस्वीर? चुनाव रिजल्ट के बाद फेरबदल की संभावना