जयपुर में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपने ही डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) के खिलाफ भ्रष्टाचार और रिश्वत के गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है। इस सनसनीखेज घटनाक्रम ने न केवल सीबीआई के आंतरिक तंत्र को झकझोर दिया है बल्कि जांच एजेंसी की जीरो टॉलरेंस नीति पर भी सवाल खड़े किए हैं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई ने जयपुर, कोलकाता, मुंबई और दिल्ली सहित चार बड़े शहरों में कुल 20 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी (Simultaneous raid on 20 locations) अभियान चलाया। इस दौरान जांच टीम ने 55 लाख रुपये नकद, करोड़ों रुपये की अचल संपत्तियों के निवेश से संबंधित दस्तावेज और बैंक खातों में भारी लेन-देन की जानकारी हासिल की।
सीबीआई द्वारा जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि डीएसपी बीएम मीणा, जो सीबीआई में बीएसएफबी यूनिट में तैनात (Posted in BSFB unit in CBI) थे, के खिलाफ रिश्वतखोरी और अनुचित लाभ लेने के आरोप लगाए गए हैं। प्राथमिकी के अनुसार, डीएसपी मीणा हवाला चैनलों के माध्यम से रिश्वत की बड़ी रकम का लेन-देन करता था और इसके लिए कई बिचौलियों की सेवाएं लेता था। जांच एजेंसी ने बताया कि आरोपी अधिकारी ने भ्रष्टाचार से अर्जित धन को विभिन्न खातों में छुपा रखा था और कई माध्यमों से उसे वैध संपत्तियों में निवेश कर रहा था।
छापेमारी के दौरान सीबीआई को कुल 55 लाख रुपये की नकदी बरामद हुई (CBI recovered cash worth Rs 55 lakh), जो हवाला के जरिए इधर-उधर किए गए पैसों का हिस्सा मानी जा रही है। इसके अलावा, 1.78 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों में किए गए निवेश के दस्तावेज भी मिले। जांच के दौरान जब्त बैंक पासबुक में 1.63 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन की एंट्री पाई गई। इसके अलावा, कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं, जो इस प्रकरण में डीएसपी और अन्य आरोपियों की भूमिका की पुष्टि करते हैं।
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सीबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई एजेंसी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत की गई है। जांच एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का संकेत दिया है। फिलहाल, इस मामले की गहनता से जांच जारी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कई और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।