जयपुर। कांग्रेस पार्टी इन दिनों अपने संगठन में व्यापक बदलाव की तैयारी कर रही है। लगातार चुनावी पराजय और संगठनात्मक चुनौतियों के बाद पार्टी नेतृत्व एक्शन मोड में आ गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (National President Mallikarjun Kharge) ने पहले ही ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव का संकेत दे दिया है। यह बदलाव न केवल केंद्रीय स्तर पर बल्कि राज्यों और जिला स्तर पर भी दिखाई देंगे।
हाईकमान की योजना- प्रदेश स्तर पर नेतृत्व में बदलाव
कई राज्यों में कांग्रेस नए प्रदेश अध्यक्षों और प्रभारियों की नियुक्ति की तैयारी (Congress preparing to appoint new state presidents and in-charges) कर रही है। हरियाणा, ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में संगठन को नई ऊर्जा देने के लिए बड़े फेरबदल की संभावना है। हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति की चर्चा भी जोरों पर है।
राजस्थान, जहां कांग्रेस ने हाल ही में सत्ता और उपचुनावों में अपनी तीन महत्वपूर्ण सीटें गंवाई हैं, संगठनात्मक बदलाव का केंद्र बन सकता है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara)ने इस ओर संकेत दिया कि राज्य में ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक कई अहम बदलाव देखने को मिलेंगे।
राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति
राजस्थान में हाल के उपचुनावों में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। रामगढ़, देवली-उनियारा और झुंझुनूं जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। इन तीनों सीटों पर कांग्रेस को पिछली विधानसभा चुनावों में जीत मिली थी, लेकिन हालिया उपचुनावों में पार्टी की स्थिति कमजोर हो गई है। इन झटकों ने पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी और नेतृत्व की कमजोरियों को उजागर किया है।
गोविंद सिंह डोटासरा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में पंचायत और निकाय चुनाव (Panchayat and civic elections) समय पर न करवाकर सरकार प्रशासनिक अधिकारियों के जरिए सत्ता चलाना चाहती है। डोटासरा ने कहा, सरकार को चुनाव समय पर करवाने चाहिए थे। जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलना चाहिए।
डोटासरा का भाजपा पर निशाना
डोटासरा ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान को लेकर भी भाजपा पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा आरएसएस के सहारे सत्ता में आती है, लेकिन संघ की नीतियों को भी गंभीरता से नहीं लेती। उन्होंने आरएसएस के सभी धर्मों का सम्मान वाले विचार का हवाला देते हुए भाजपा की कथनी और करनी पर सवाल उठाया।
राज्य के कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को लेकर भी डोटासरा ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करने को कहा। मीणा के उपचुनावों के बाद हुई बैठक में शामिल न होने पर डोटासरा ने उनके इस्तीफे की अटकलों पर सवाल खड़े किए और सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
भाजपा की बढ़त और कांग्रेस की चुनौतियां
राजस्थान में हाल के उपचुनावों में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन ने पार्टी की चुनौती को और बढ़ा दिया है। सात उपचुनावों में कांग्रेस केवल दौसा सीट पर ही जीत हासिल कर सकी, जबकि तीन सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई। पार्टी के अंदरूनी विवाद और गुटबाजी ने इस हार को और गहरा किया।
संगठनात्मक बदलाव की आवश्यकता
कांग्रेस की हार के बाद, अब संगठन में बदलाव अनिवार्य (Change in organization is mandatory) हो गया है। हाईकमान ने इस बात पर जोर दिया है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है। राजस्थान में, जहां अगले साल निकाय और पंचायत चुनाव होने हैं, कांग्रेस के लिए संगठन में बदलाव करना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
यह भी पढ़े: आबकारी विभाग में 8.52 करोड़ की हेराफेरी, LDC ही निकला मास्टर माइंड, चार गिरफतार
मल्लिकार्जुन खड़गे की “टीम खड़गे” में भी बदलाव की संभावना है। पार्टी उम्मीद कर रही है कि इन बदलावों से कांग्रेस को नई ऊर्जा मिलेगी और आगामी चुनावों में प्रदर्शन बेहतर होगा।