अजमेर। राजस्थान में अजमेर के नसीराबाद स्थित राजकीय सामान्य चिकित्सालय के एक बाबू राजतिलक गर्ग का एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। सरकारी अस्पताल में LDC (लोअर डिवीजन क्लर्क) के पद पर कार्यरत बाबू की तनख्वाह जहां मात्र 40 हजार रुपए (Babu’s salary is only Rs 40 thousand) थी, वहीं उसने खुद के पे-बिल में हेरफेर कर करीब 1 लाख रुपए से अधिक प्रतिमाह की सैलरी (Salary of more than Rs 1 lakh per month by manipulating one’s own pay bill) बनानी शुरू कर दी। रूटीन ऑडिट के दौरान यह घोटाला सामने आया और खुलासा हुआ कि बाबू ने इस फर्जीवाड़े से लगभग 70 लाख रुपए हड़प लिए हैं।
रूटीन ऑडिट में हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
ऑडिट टीम द्वारा जब पूरे विभाग के वित्तीय दस्तावेजों की जांच की जा रही थी, तब राजतिलक गर्ग के बैंक अकाउंट में फर्जी तनख्वाह बिल (fake salary bill) के जरिए करोड़ों का लेन-देन पाया गया। बताया जा रहा है कि आरोपी ने लगभग 70 लाख रुपए का गबन (Embezzlement of 70 lakh rupees) किया, जिसमें से 46 लाख रुपए तो उसने पहले ही जमा करवा दिए, लेकिन अभी 23 लाख रुपए की रिकवरी बाकी है।
2017 से 2020 तक किया घोटाला
सन् 2017 से शुरू हुए इस घोटाले के दौरान हर ऑडिट में यह मामला छूटता गया, जिससे राजतिलक गर्ग का साहस और बढ़ता चला गया। उसने अपने पे-बिल को ट्रेजरी में अप्रूव (Pay bill approved in treasury) कराकर बिना किसी भय के लगातार फर्जीवाड़े किए। इसके तहत उसने पिछले तीन सालों में अपनी वास्तविक तनख्वाह से लगभग तीन गुना अधिक राशि का भुगतान अपने अकाउंट में करवाया।
चिकित्सालय और प्रशासनिक अधिकारी रहे बेखबर
इस दौरान न केवल तत्कालीन प्रभारी नारायण सिंह भाटी और वर्तमान प्रभारी डॉक्टर विनय कपूर को इस घोटाले की भनक नहीं लगी, बल्कि तत्कालीन अकाउंटेंट राजेंद्र कुमार और वर्तमान कार्यालय अधीक्षक मनोज बुंदेला भी इस फर्जीवाड़े को समझ नहीं पाए। इस पर सवाल यह भी उठता है कि ट्रेजरी विभाग ने भी बिना गहन जांच के इन फर्जी पे-बिल को पास कैसे कर दिया।
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घोटाले के बाद की कार्रवाई
पीएमओ डॉ. विनय कपूर ने जानकारी दी कि आरोपी से पूरी राशि की वसूली की जा रही है और पूरी रकम सरकारी खजाने में जमा हो जाने के बाद ही आगे की कानूनी कार्यवाही की जाएगी। सूत्रों के अनुसार अभी 15 दिनों से अस्पताल में चल रही ऑडिट प्रक्रिया में किसी अन्य अधिकारी या कर्मचारी पर रिकवरी नहीं निकली है, जिससे यह संदेह गहराता है कि राजतिलक गर्ग अकेले ही इस गोरखधंधे में शामिल था।
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