बूंदी। शहर की जर्जर सफाई व्यवस्था ने नागरिकों को मौसमी बीमारियों के दलदल में धकेल दिया है। जवाहर नगर हाउसिंग बोर्ड में मौसमी बीमारियों के बढ़ते प्रकोप ने पूरे शहर को चिंता में डाल दिया है। इस गंभीर स्थिति की जड़ में नगर परिषद की लापरवाही है, जिसके कारण शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
शहरवासियों का मानना है कि नगर परिषद (City Council) सफाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है, जिसके कारण आज लोग बीमारियों से जूझ रहे (People Struggling With Diseases) हैं। शहर की गलियों में सफाई कर्मचारी दूर-दूर तक नजर नहीं आते, नालियां गंदगी से अटी पड़ी (Drains Clogged with Filth) हैं, और नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। इस स्थिति ने न केवल लोगों के आने-जाने को मुश्किल बना दिया है, बल्कि बीमारी के खतरे को भी बढ़ा दिया है।
बरसात के बाद से शहर के प्रमुख मार्गों, कॉलोनियों और गली-मोहल्लों की नालियों की सफाई शायद ही की गई हो। इसका परिणाम शहरवासियों ने हाल ही के दिनों में जलभराव और बाढ़ के रूप में देखा है। गंदगी और मच्छरों के कारण लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। अगर समय रहते सफाई व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया गया, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
शहर की बदहाली पर उठी आवाजें
लोगों की मांग है कि हर गली-मोहल्ले की सफाई को प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाने और सफाई की मॉनिटरिंग के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। नागरिकों का सुझाव है कि सफाई कार्य की रिपोर्ट, फोटोग्राफ्स के साथ जिला कलेक्टर को प्रस्तुत की जाए और कलेक्टर इसे गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाएं।
शहर के विभिन्न हिस्सों में कचरे के ढेर लगे हुए हैं। निर्धारित स्थानों से कचरा समय पर नहीं उठाया जा रहा है। यहां तक कि घर-घर कचरा उठाने वाले टिपर भी नियमित रूप से नहीं आते, कहीं दो दिन तो कहीं चार दिन बाद पहुंचते हैं। अधिकांश कचरा गाड़ियां खराब होकर कबाड़खाने में खड़ी हैं। मुख्य सड़कों को छोड़कर अन्य स्थानो पर सफाई कर्मचारी झाड़ू लगते देखना अब दुर्लभ हो गया है।
सफाई व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता
अगर सफाई कर्मचारियों की कमी है, तो नगर परिषद को संविदा या ठेके पर कर्मचारियों को नियुक्त कर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए। इसके अलावा, खाली भूखंडों में भरे पानी की निकासी के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए।
मौसमी बीमारियों के बढ़ते प्रकोप को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने के लिए तत्परता से काम करना चाहिए। पूरे शहर में फॉगिंग और डोर-टू-डोर सर्वे की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि इन बीमारियों के प्रसार को रोका जा सके।
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बूंदी की जनता एक बेहतर और सुरक्षित जीवन की हकदार है। समय की मांग है कि नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारियों को समझें और शहर की सफाई और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।