बूंदी। जिले के हिण्डोली थाना क्षेत्र में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरों (CBI) की 11 सदस्यी टीम शनिवार को बजरी माफियाओं से गठजोड़ (Alliance with gravel mafia) से जुड़े मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर जांच कर साक्ष्य जुटाने तालाब गाँव पहुंची थी। सीबीआई की टीम (CBI team) सुबह 9 बजे करीब तालाब गांव पहुंची जो करीब तीन घंटे से ज्यादा समय तक कार्यवाही में जुटी रही। ये मामला अक्टूम्बर 2023 में सदर थाना बूंदी में दर्ज हुआ था।
सीबीआई टीम इसी बजरी परिवहन मामले 3 माह से जेल बंद तालाब गांव निवासी जब्बार के घर पहुंची और उसके परिजनो से बजरी खनन व परिवहन के बारें में जानकारी जुटाई, इसके अलावा डम्पर चालक से भी पुछताछ करने की जानकारी मिली है। जब्बार की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने ये जांच शुरू की है। फिलहाल मामले मे CBI की ओर से कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है। इस दौरान सदर एवं हिंडोली थाना पुलिस भी मौके पर मोजूद रही।
गौरतलब है कि राजस्थान में अवैध बजरी खनन और माफिया (Illegal gravel mining and mafia) से जुड़े सभी मामलों की जांच के लिए हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिए थे। जस्टिस समीर जैन की कोर्ट ने बजरी के अवैध खनन और परिवहन से जुड़े एक आरोपी जब्बार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए थे।
जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रदेश में बजरी माफिया, पुलिस और खान विभाग की मिलीभगत से अवैध खनन हो रहा है। ऐसे में इन मामलों पर सरकार लगाम नहीं लगा सकती। इसलिए इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर किया जाता है। सीबीआई को यह छूट दी जाती है कि वह चंबल और बनास नदी के आसपास के क्षेत्र में बजरी माफिया पर दर्ज मामलों की भी जांच कर सकती है। कोर्ट ने CBI डायरेक्टर को निर्देश दिए थे कि वे इन मामलों की जांच करके 4 सप्ताह में कोर्ट में प्राथमिक रिपोर्ट पेश करें।
ACS से मांगी थी एक्शन टेकन रिपोर्ट
दरअसल, हाईकोर्ट ने तालाब गांव निवासी आरोपी जब्बार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 फरवरी 2024 को ACS (होम) से मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी थी। 9 अप्रैल को हुई सुनवाई में सरकारी अधिवक्ता शेर सिंह महला ने कोर्ट को बताया था कि उन्होंने एसीएस (होम), बूंदी एसपी, मामले के जांच अधिकारी को कोर्ट के आदेश से अवगत करवाया था। लेकिन, बूंदी एसपी की ओर से तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश कर खानापूर्ति की गई है। कोर्ट ने इस मामले में 9 अप्रैल को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था, जो 16 अप्रैल सुनाया गया।
कोर्ट ने कहा था- सिर्फ कागजी अभियान चलाते हैं
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था पुलिस और खान विभाग बजरी माफिया के खिलाफ कागजी अभियान चलाते हैं। जब कार्रवाई की बात आती है तो कुछ नहीं किया जाता। इससे लगता है अधिकारियों को परवाह नहीं है। पुलिस और खान विभाग की बजरी माफिया से मिलीभगत जाहिर होती है। इस मामले में भी कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस मामले में भी पुलिस की जांच लचर प्रवृत्ति की रही। कोर्ट के आदेश के बाद भी न जांच अधिकारी पेश हुआ और न संबंधित रिकॉर्ड पेश किया गया। बूंदी पुलिस ने भी बजरी माफिया पर की गई कार्रवाई का रिकॉर्ड नहीं रखा।
अधीनस्थ न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए मुख्य सचिव कार्यालय को दिशा निर्देश दिए थे। इसके बावजूद मुख्य सचिव कार्यालय से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि बजरी माफिया केवल राज्य का राजस्व नुकसान नहीं कर रहे बल्कि अवैध बजरी खनन से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
यह भी पढ़े : राजस्थान में PM मोदी के बयान को वाहियात बताने वाला नेता गिरफ्तार, 3 दिन पहले BJP ने किया था निष्कासित
कोर्ट ने आरोपी जब्बार के जमानत प्रार्थना पत्र पर अंतरिम आदेश देते हुए सुनवाई 16 मई तक टाल दी। कोर्ट ने आदेश की कॉपी सीबीआई निदेशक, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और खान निदेशक को भी भिजवाई थी।