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खुद के अपहरण की साजिश रचने के मामले का पुलिस ने किया खुलासा, रूस से MBBS करना चाहती थी युवती

Police revealed the case of plotting her own kidnapping, the girl wanted to do MBBS from Russia

कोटा। मध्य प्रदेश के शिवपुरी निवासी छात्रा के परिजनों ने कोटा पुलिस को उसके अपहरण की सूचना दी थी, जिस पर कोटा शहर के विज्ञान नगर थाना पुलिस ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया था। साथ ही इस मामले में प्रारंभिक तौर पर ही सामने आ गया था कि छात्रा का कोई अपहरण नहीं हुआ है, वह अपने दोस्तों के साथ साजिश कर झूठी अपहरण की कहानी (false kidnapping story) बना रही थी। बुधवार को घटना के दो सप्ताह बाद लड़की और उसके दोस्त को पुलिस ने इंदौर से दस्तयाब कर कोटा (The police arrested the girl and her friend from Indore and sent them to Kota) ले आई।

पूरे मामले का खुलासा करते हुए कोटा सिटी एसपी अमृता दुहन ने बताया कि छात्रा का एडमिशन कराने के लिए उसकी मां 3 अगस्त 2022 को कोटा आई थी. मां उसी दिन वापस लौट गई थी, लेकिन छात्रा कोटा में ही रुक गई थी। इसके बाद छात्रा तीन दिन बाद वापस इंदौर लौट गई, जहां पर अपने दोस्तों के साथ रहने लग गई और वहां रह कर ही पढ़ाई कर रही थी। आने वाले दिनों में नीट-यूजी का एग्जाम आने वाला है।

ऐसे में उसे लग गया था कि यह परीक्षा वह पास नहीं कर पाएगी, जिससे उसका एडमिशन एमबीबीएस के लिए कॉलेज में नहीं हो पाएगा। इसलिए उसने योजना बनाई कि वह रूस से एमबीबीएस कर लेगी, हालांकि, इसके लिए लाखों रुपए का खर्च होगा, जिसके लिए उसने अपने ही अपहरण की साजिश दोस्तों के साथ मिलकर रच डाली। इस योजना को बनाने के लिए उसने सोशल मीडिया का सहारा लिया और उसने यूट्यूब वीडियो देखते हुए योजना को अंजाम दिया।

छात्रा ने आपने दोस्त के साथ स्वयं के अपहरण की झूठी कहानी रची (The student created a false story of her own kidnapping with her friend), इस पूरे मामले में पुलिस का कहना है कि अपहरण का मुकदमा पहले दर्ज था। इसमें लड़का और लड़की को दस्तयाब कर लिया गया है। अब लड़की और उसके दोस्त पर क्या कार्रवाई होती है, इसके पहले पुलिस कानूनी राय लेगी। लड़की ने 18 मार्च को अपने खुद के हाथ-पैर बंधा हुआ फोटो दोस्त के मोबाइल से अपने पिता को भेज 30 लाख की डिमांड की थी।

लड़की के अपहरण की सूचना 18 मार्च को कोटा पुलिस को मिली थी, इस पूरी साजिश में शामिल छात्रा और उसका दोस्त पुलिस के निशाने पर 20 मार्च को ही आ गए थे। उसके बाद से ही पुलिस ने इस मामले में साफ कर दिया था कि यह अपहरण नहीं है, छात्रा अपने दोस्त के साथ मिलकर ही इस पूरी कहानी को अंजाम दे रही है। उसके एक दोस्त को पुलिस ने दस्तयाब भी किया था, जिसने पूरे मामले का खुलासा कर दिया था।

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हालांकि, इसके बावजूद भी छात्रा और उसका दोस्त पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहे थे। पुलिस ने पता लगाया था कि वे लोग 19 मार्च को इंदौर में ही थे, ऐसे में पुलिस से बचने के लिए वह बिना टिकट कटाए चंडीगढ़ चले गए, जहां से अमृतसर जाकर स्वर्ण मंदिर के गुरुद्वारे में रुक गए। इसके बाद जैसे ही वापस आए, इंदौर पुलिस ने तकनीकी अनुसंधान के जरिए उन्हें पकड़ लिया। इनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए वे गुरुद्वारा अमृतसर में ही रुक गए और लंगर में खाना खाते रहे।

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