राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर जिले में जाट समुदाय के बडे नेताओं ने केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में शामिल करने की मांग को लेकर बुधवार को विरोध प्रदर्शन शुरू किया। केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल होने से केंद्रीय नौकरियों और केंद्र द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में जाट समुदाय के लिए आरक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा। इतना ही नही प्रदर्शनकारियों ने 22 जनवरी तक मांग पूरी नहीं होने पर अपना विरोध तेज करने की चेतावनी दी है।
भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया कि हम 22 जनवरी तक गांधीवादी तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे। लेकिन अगर सरकार तब तक हमारी मांगें पूरी नहीं करती है तो हम अपना आंदोलन तेज करेंगे, प्रदर्शनकारी जयचोली में दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक के पास धरना दे रहे हैं। फौजदार ने कहा कि 2015 में कानून और प्रक्रियाओं के प्रावधानों में कमियां बताकर 9 राज्यों सहित भरतपुर और धौलपुर के जाटों का आरक्षण खत्म कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि जाटों को केंद्रीय OBC आरक्षण सूची में शामिल करने के संबंध में 12 जनवरी को जिला कलेक्टर के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा गया था। लेकिन इस मामले पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई। बता दे कि भरतपुर-धौलपुर के जाटों द्वारा आरक्षण की मांग साल 1998 से हो रही है। 2013 में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भरतपुर, धौलपुर और नौ अन्य राज्यों में जाटों को ओबीसी आरक्षण दिया।
लेकिन मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाटों को केंद्रीय ओबीसी सूची से बाहर कर दिया गया और फिर अगस्त 2015 में राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के बाद उन्हें राज्य OBC सूची से भी बाहर कर दिया गया। तब तर्क यह दिया गया था कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों का इन जिलों के पूर्व शाही परिवार से ऐतिहासिक संबंध था जो जाट समुदाय से थे। इस पर भरतपुर और धौलपुर के जाटों ने तर्क दिया कि जाट महाराजा तो सिर्फ सूरजमल थे, बाकी जाट तो प्रजा हैं। राजस्थान के अन्य जाटों की तरह ही इन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए।
हालंाकि अगस्त 2017 में, ओबीसी कमीशन सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान, दोनों जिलों में जाटों को राज्य की ओबीसी आरक्षण सूची में शामिल किया गया। लेकिन केंद्रीय OBC सूची में भरतपुर-धौलपुर का जाट समुदाय शामिल नहीं है।
बता दे कि जाट आरक्षण आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने कमर कस ली है। जाट समाज की चेतवानी को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने जयचोली रेलवे स्टेशन के पास सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे सुरक्षा बल और राजकीय रेलवे पुलिस का संपूर्ण जाप्ता लगा रखा है। रेलवे विभाग के सहायक सुरक्षा आयुक्त चौधरी संजय ने छक्ज्ट राजस्थान को बताया कि, जाट आरक्षण आंदोलन को देखते हुए हमने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक की सुरक्षा बढ़ा दी है और आरपीएफ के 52 जवान तो जीआरपी के 78 जवानों का जाप्ता तैनात किया गया है।