राजस्थान में एक बार फिर बड़े आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जाट एक बार फिर संघर्ष करने के लिए तैयार है। केंद्र सरकार ने जाटों से करीब 10 साल पहले आरक्षण छिन लिया था उसी को पाने की तैयारी जाट कर रहे हैं।
केंद्र से धौलपुर और भरतपुर जिले के जाट समाज के लोग ओबीसी आरक्षण की मांग (People of Jat community demand OBC reservation) कर रहे हैं, इसी के लिए 7 जनवरी को जाट महापंचायत का आयोजन हुआ। इस महापंचायत के दौरान अल्टीमेटम दिया गया कि अगर 10 दिनों के भीतर सरकार इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लेती है तो जाट समाज आंदोलन करेगा।
आरक्षण की मांग भरतपुर-धौलपुर जाटों की ओर से साल 1998 से की जा रही है, 2013 में जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी उस दौरान भरतपुर और धौलपुर के जाटों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी आरक्षण दिया गया था, जिसके बाद 2014 में जब बीजपी की सरकार बनी तो इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेते हुए 10 अगस्त 2015 को भरतपुर और धौलपुर की जाटों का केंद्र और राज्य दोनों ही जगह ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया। इसके बाद जाटों ने आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया। वसुंधरा सरकार ने 3 अगस्त 2017 को भरतपुर और धौलपुर के जाटों को राजस्थान में ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया लेकिन दोबारा ओबीसी आरक्षण का लाभ बहाल केंद्र की ओर से नहीं किया गया।
अब ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर भरतपुर और धौलपुर के जाट समाज के लोग आंदोलन की रास्ता अपना सकते हैं। इसी को लेकर 7 जनवरी को जाट महापंचायत का आयोजन हुआ। इस महापंचायत के दौरान अल्टीमेटम दिया गया कि अगर 10 दिनों के भीतर सरकार इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लेती है तो जाट समाज आंदोलन करेगा। रिपोर्ट्स की माने तो ओबीसी आरक्षण दिलाने के लिए तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी।
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जाट नेता नेम सिंह ने महापंचायत में चेतावनी देते हुए कहा कि 10 दिन का समय सरकार के पास है। शांतिपूर्ण तरीके से सरकार को फैसला लेना है, फैसला नहीं होता है तो चक्का जाम कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्चौन के गांव जैचोली स्थित भरतपुर-मुंबई रेल लाइन को 17 जनवरी को बंद कर दिया जाएगा। साथ ही धरना प्रदर्शन किया जाएगा। पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता विश्वेंद्र सिंह की माने तो सरकार से 11 लोगों का प्रतिनिधि मंडल वार्ता कर सकता है।