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श्मशान व रास्ते में अतिक्रमण,अर्थी लेकर रास्ते में 6 घंटे तक बैठे रहे लोग, पुलिस पहरे में हुआ अंतिम संस्कार

Encroachment in the crematorium and on the way, people sat on the way with the bier for 6 hours, the last rites took place under police guard.

टोंक। पीपलू थाना क्षेत्र के अहमदगंज में मजदूर जीतराम बैरवा (30) पुत्र रामपाल बैरवा के शव को तो मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजार (Waiting even for the last rites) करना पड़ा। अर्थी लेकर लोग रास्ते में 6 घंटे तक बैठे रहे (People sat on the road with the bier for 6 hours)। प्रशासन पहंचकर अतिक्रमण हटाया तब जाकर अंतिम संस्कार हो पाया।

दरअसल, जीतराम बैरवा टोंक के पास पालड़ी गांव के ईंट-भट्टे पर मजदूरी करता था। शुक्रवार शाम करीब 6 बजे उसकी ईंट भट्टे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे दबने से मौत हो गई थी। शनिवार सुबह उसका पोस्टमार्टम होने के बाद करीब 9 बजे उसका अंतिम संस्कार करने की तैयारी हुई।

परिजन और ग्रामीण उसकी शव यात्रा (Shav Yatra) को लेकर सुबह श्मशान के लिए रवाना हुए, तो श्मशान और रास्ते में अतिक्रमण मिला। जिसके चलते ये लोग वहीं बैठ गए और इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को दी। लेकिन 2 घंटे तक कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। जब मामला उच्च स्तर पर पहुंचा तो नायब तहसीलदार, पटवारी, पीपलू थाना प्रभारी मय जाप्ते के मौके पर पहुंचे और जेसीबी की मदद से अतिक्रमण हटाया। ये लोग 6 घंटे तक शव रखकर रास्ते में बैठे रहे। इसके बाद शाम करीब 4 बजे पुलिस के कड़े पहरे में अंतिम संस्कार किया गया।

भीमसेना जिलाध्यक्ष अशोक बैरवा ने बताया कि शुक्रवार को शाम करीब 6 बजे ईंट भट्टे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे दबने से जीतराम की मौत (Jeetram dies after being crushed under tractor-trolley at brick kiln) हो गई थी। उसका शनिवार को पोस्टमार्टम होने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। इसके बाद परिजन और ग्रामीण शव लेकर श्मशान के लिए रवाना हुए। जहां अज्ञात लोगों ने रास्ते और श्मशान पर अतिक्रमण कर फसल उगा रखी थी।

ग्रामीण शव को लेकर सुबह करीब 9 बजे रास्ते में बैठ गए और इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को दी। करीब 2 घंटे तक कोई प्रशासन का अधिकारी या कार्मिक नहीं आया। करीब 2 घंटे बाद बाद पीपलू थाना प्रभारी और नायब तहसील, पटवारी मय पुलिस जाप्ते के मौके पर पहुंचे और अतिक्रमियों से समझाइश की।

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दोनों पक्ष से बात करने और मौका मुआयना देखने के बाद सामने आया कि श्मशान स्थल तो सिवाय चक जमीन पर है। पहले वहां रास्ता था। बाद में जमीन खातेदारी लगने से रास्ता बंद कर दिया। इसके चलते प्रशासन ने अन्य जगह अंतिम संस्कार करने की बात कही। लेकिन ग्रामीण और मृतक के परिजन नहीं माने। उन्होंने कहा कि वर्षों से यही अंतिम संस्कार करते आए है। उसके बाद प्रशासन ने जेसीबी से अतिक्रमण हटाकर रास्ता खुलवाया और अंतिम संस्कार करवाया। इस दौरान अंबेडकर नवयुवक मण्डल अहमदगंज के अध्यक्ष विष्णु नागरवाल, बरवास के पूर्व सरपंच हनुमान प्रसाद बैरवा आदि मौजूद थे।

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