टोंक। टोंक राजस्थान राजपूताना का इकलौता मुस्लिम स्टेट रहा है। टोंक रियासत की स्थापना 1817 में हुई थी। यह रियासत राजस्थान की अकेली रियासत थी, जो निजामों की थी। यह सीट मुस्लिम बहुल है, लेकिन यहां गुर्जरों की भी संख्या काफी है। टोंक जिले में चार विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें अभी तीन सीट पर कांग्रेस के और एक पर बीजेपी विधायक काबिज हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस के सचिन पायलट (Sachin Pilot of Congress) ने इस सीट से चुनाव लड़ा तो टोंक के लोगों को लगा कि उन्हें तो सीएम मिल गया है, लेकिन कांग्रेस सरकार आने पर सचिन पायलट सीएम नहीं बने। इसकी कसक इस सीट के लोगों में दिखती है। हालांकि अब वे कहते हैं कि सीएम बनने या न बनने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
टोंक सीट पर क्या हैं मुद्दे
मुद्दों की बात करें तो ज्यादातर लोग कांग्रेस सरकार के काम (Work of congress government) गिनाने लगते हैं। टोंक में लोग जातिगत समीकरण भी खूब गिना रहे हैं। टोंक में बड़ी जामा मस्जिद से करीब 500 मीटर की दूरी पर एक बुजुर्ग ने चुनावी माहौल के बारे में पूछने पर कहा कि दोनों का ही जोर चल रहा है, विकास होना चाहिए। यहां धंधा नहीं है, फैक्ट्रियां भी बंद हो गई हैं सब। विकास के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। हम विकास के लिए वोट देंगे। उनके साथ बैठे दूसरे शख्स उनकी बातों से नाराज हो गए और कहा कि सरकार पब्लिक को अनाज, तेल-मिर्च मसाला, बिजली सब फ्री दे रही है, 1000 रुपये पेंशन दे रही है और क्या चाहिए। जनता क्या अब कांग्रेस का गला घोंटेगी, सब कुछ तो सरकार दे रही है।
पार्टी नहीं व्यक्ति हावी
उन्होंने कहा कि हम सरकार से खुश हैं, फिर से कांग्रेस की सरकार बनेगी। टोंक में लोग या तो खुलकर बात नहीं कर रहे और जो खुलकर बात कर रहे हैं वे सचिन पायलट को समर्थन (Support for Sachin Pilot) देने की बात कह रहे हैं। टोंक घंटाघर के पास एक दुकानदार कहते हैं कि सचिन पायलट ने बहुत काम कराया है, बांध बन रहा है। विकास भी हो रहा है। वह कहते हैं कि पायलट मुख्यमंत्री बने या ना बने कोई फर्क नहीं पड़ता, वह काम तो करवा रहे हैं। रेहड़ी वालों से और मजदूरों से बात करने पर ज्यादातर सचिन पायलट के समर्थन में बात कर रहे हैं। एक ने अपनी जेब से दवाईयां निकालकर दिखाई और कहा कि ये दवाइयां 100 रुपये से ज्यादा की हैं और हमें फ्री मिल रही हैं। हमें तो भूखे मरने की नौबत आ गई थी। पर अनाज मिल रहा है और तेल-मसाला सब मिल रहा है।
बीजेपी ने यहां अजीत मेहता (BJP Ajit Mehta here) को उम्मीदवार बनाया है। वह एक बार पहले भी इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। बीजेपी यहां लोकल बनाम बाहरी को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी समर्थक कह रहे हैं कि अजीत मेहता लोकल हैं और यहां की परेशानी समझते हैं और हर वक्त यहां के लोगों के साथ रहते हैं जबकि सचिन पायलट बाहरी हैं और पिछली बार भी जीतने के बाद वह बहुत कम बार टोंक आए। मुस्लिम बहुल इलाका होने की वजह से यहां पोलराइजेशन की भी कोशिशें दिख रही हैं। बीजेपी ने यहां अपने सांसद रमेश बिधूड़ी को भेजा है। बिधूड़ी गुर्जर समाज से आते हैं और यहां गुर्जर वोटरों को बीजेपी के पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने बयान दिया कि लोग कह रहे हैं राजस्थान के चुनाव पर पूरे देश की नजर है लेकिन आपको बता दूं कि टोंक के चुनाव को लेकर लाहौर और पीएफआई की भी नजर बनी हुई है।
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‘पायलट नहीं होते तो अलग होता समीकरण’
उनके ही एक साथी ने नाराजगी जताई और कहा कि नेता बनने के बाद गरीबों को धमकाने लगते हैं। सफेद कुर्ता पहनकर मंत्री बन जाते हैं और गरीब जनता नेता के पास जाए तो उनके लोग धमकाते हैं कि भागो यहां से नहीं तो पुलिस बुला लेंगे। वह कहते हैं कि हम तो उसे वोट देंगे, जो गरीब की सुनेगा। कांग्रेस को वोट देने की बात कहने वाले ज्यादातर लोगों ने कहा कि वे सचिन पायलट के नाम पर वोट देंगे। टोंक सिटी में चुनावी चर्चा के दौरान लोगों ने कहा कि अगर सचिन पायलट की जगह कांग्रेस से कोई और उम्मीदवार होते तो शायद समीकरण अलग होते। उनके मुताबिक गुर्जर पार्टी लाइन से उठकर सचिन पायलट के साथ आ रहे हैं। मुस्लिम वोटर पहले से ही कांग्रेस के साथ रहे हैं।