बूंदी। जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर दोनो प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद स्थिति साफ हो गई है। यहां बूंदी विधानसभा में सीट पर अशोक डोगरा और हरिमोहन शर्मा (Ashok Dogra and Harimohan Sharma) के बीच एक बार फिर मुकाबला होने की संभावना है तो वही आज गुरुवार को भाजपा (BJP) की ओर से जारी की गई तीसरी सूची में केशोरायपाटन एससी आरक्षित सीट पर चंद्रकांता मेघवाल (Chandrakanta Meghwal) को एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि हिंडोली विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी (Prabhu Lal Saini) को भाजपा ने मैदान में उतारा है। ऐसे में अब दोनों दलों के बीच सीधे मुकाबले की संभावना बनती दिख रही है। हालांकि नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 6 नवंबर तक है, और 9 नवंबर को नाम वापसी होगी, इसके बाद तस्वीर एक दम साफ हो जाएगी।
इस बार केशोरायपाटन सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। यहां कांग्रेस (Congress) की ओर से सीएल प्रेमी बैरवा (CL Premi Bairava) को चौथी बार प्रत्याशी घोषित किया गया है, इससे पहले वह यहां से विधायक भी रह चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस जिलाध्यक्ष भी है। 2018 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट तो दिया था लेकिन आलाकमान को गलत पेश किए जाने के बाद अंत समय में उनका टिकट काटकर राकेश बोयत (Rakesh Boyat) को दिया गया था, इससे नाराज होकर प्रेमी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 35115 वोट ले प्राप्त कर तीसरे नंबर पर रहे। जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी राकेश बोयत 7119 मतों के अंतराल से हारे और भाजपा की चंद्रकांता मेघवाल (Chandrakanta Meghwal of BJP) चुनाव जीत गई। हालांकि इस बार विधायक चंद्रकांता मेघवाल रामगंज मंडी से टिकट की दावेदारी जाता रही थी, लेकिन पार्टी ने एक बार फिर से इन्हें केशोरायपाटन से ही चुनाव लड़ने का निर्देश दिया।
कांग्रेस प्रत्याशी सीएल प्रेमी का सियासी सफर
कांग्रेस प्रत्याशी सीएल प्रेमी राजनिति से पहले बैंकिंग सेवा से जुड़े रहे, जिन्होंने अपनी सेवाकाल के दौरान सामाजिक सरोकार के कार्यो से जुड़ जिले में अपनी पहचान बनाई और स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में उतर गए। 2008 में उन्होने पहला चुनाव भाजपा के गोपाल पचेरवाल के सामने लड़ा चुनाव और 3416 मतों के अंतर से जीतकर विधान सभा पहुंचे। 2013 के चुनाव में प्रेमी का मुकाबला भाजपा के बाबूलाल वर्मा से हुआ और 12731 मतो चुनाव हार गए। जबकि 2018 में निर्दलीय चुनाव लड़े। लेकिन उसके बाद पार्टी के प्रति फिर से निष्ठा दिखाते हुए संगठन में मजबूती से काम किया जिसके चलते उन्हें एक बार फिर जिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी मिली और उसके बाद उन्हें केशोरायपाटन से प्रत्याशी बनाया गया है।
भाजपा प्रत्याशी चंद्रकांता मेघवाल की पोलिटिकल यात्रा
वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी चंद्रकांता मेघवाल भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष भी है। उन्होंने अपना पहला चुनाव 2008 में रामगंज मंडी आरक्षित सीट से अपने प्रतिद्वंदी रामगोपाल के सामने लड़कर 1874 मतों से जीता। वहीं 2013 में 36919 वोटो से चुनाव जीतकर बाबूलाल को पराजित किया और उसके बाद उन्होंने तीसरा चुनाव 2018 अपने पीहर केशोरायपाटन विधानसभा क्षेत्र में आकर चुनाव लड़ा और जीत कर तीसरी बार फिर विधायक बनी। अब चौथी बार पार्टी ने उन्हें टिकट देकर केशोराय पाटन से दुसरी बार उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि मेघवाल इस बार रामगंजमंडी से चुनाव लड़ना चाहती थी। लेकिन पार्टी ने उन्हें इच्छा के विपरित मैदान में उतारा है। अब देखना यह है कि केशोराय पाटन विधानसभा सीट पर कौन बाजी मारता है। यह सीट बैरवा ओर मेघवाल बाहुल्य सीट है। यहां कांग्रेस के प्रेमी बैरवा समाज से तो भाजपा की चंद्रकांता मेघवाल मैदान में है।
हिंडोली में कांग्रेस के युवा अशोक चांदना और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभु लाल सैनी आमने सामने
अब बात करते है हिंडोली विधानसभा सीट की, यहां पर भी मुकाबला काफी रोचक (the competition is very interesting) होने वाला है। यहां कांग्रेस के कद्दावर युवा नेता अशोक चांदना के सामने भाजपा ने वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को मैदान में उतारकर कांग्रेस को बड़ी चुनौती दी है।
चांदना ने इतिहास बदला, तीसरी बार मिला मौक़ा
हिंडोली विधानसभा सीट से 2013 में अशोक चांदना (Ashok Chandna) ने पहला चुनाव भाजपा के महिपत सिंह हाड़ा (Mahipat Singh Hada of BJP) के सामने लड़कर 18453 मतों के भारी अंतर से विजय रहे और 2013 के चुनाव में अशोक चांदना हाडोती क्षेत्र से एकमात्र कांग्रेस के विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे। वहीं दूसरी ओर 2018 के चुनाव में उन्हें फिर से टिकट मिला और भाजपा के ओमेन्द्र सिंह हाड़ा (Omendra Singh Hada) को 30541 मतों से हराकर जीत की और राज्य सरकार में राज्य मंत्री बने। इसके साथ ही हिंडोली विधानसभा के पुराने रिकार्ड को ध्वस्त करते हुए अशोक चांदना ने हिंडोली को सत्ता के साथ कर दिया। हिंडोली का इतिहास रहा कि यहां से जीतने वाला प्रत्याशी हमेशा विपक्ष में बैठा है। ऐसे में अब कांग्रेस ने तीसरी बार फिर चांदना को हिंडोली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है, हिंडोली सीट गुर्जर, मीणा और माली सैनी बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। इस सीट पर 1972 से अब तक हुए कुल 11 चुनाव में भाजपा ने महज दो बार ही जीत दर्ज की है, जबकि जबकि 8 बार कांग्रेस ने और एक बार जनता पार्टी ने जीत अर्ज की। इस सीट पर 2003 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के हरिमोहन शर्मा विजय हुए थे।
यह भी पढ़ें: बूंदी सीट पर एक बार फिर अशोक डोगरा और हरिमोहन शर्मा आमने-सामने, जानें,अबकी बार कैसा रहेगा मुकाबला?
भाजपा के प्रभु लाल सैनी 6वी बार अज़माएगे भाग्य
वहीं भाजपा की ओर से यहां वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व मंत्री पूर्व कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी को हिंडोली विधानसभा सीट पर प्रत्याशी (Prabhu Lal Saini is candidate for Hindoli assembly seat) बनाया है। भाजपा ने प्रभु लाल सैनी को अशोक चांदना के सामने उतार कर कांग्रेस को एक तरीके से बड़ी चुनौती दे दी है। प्रभु लाल सैनी ने पहला चुनाव 1998 में उनियारा विधानसभा सीट पर कांग्रेस दिग्विजय सिंह के सामने लड़ा और 2072 मतों से चुनाव हार गए। इसके बाद सैनी ने 2003 में देवली-उनियारा विधान सभा सीट पर अपनी पहली जीत दर्ज कर राज्य मंत्री बने। चुनाव 2008 में हिंडोली विधानसभा सीट से चुनाव जीते। इसके बाद भाजपा (BJP) ने 2013 में अंता प्रमोद जैन भाया को शिकस्त देकर 3399 मतों से जीत दर्ज की और वसुंधरा सरकार में दुसरी बार कृषि मंत्री रहे। इसके बाद 2018 में फिर भाजपा ने उन्हे अंता से मेदान में उतारा, लेकिन भाया ने इन्हे इस बार 34093 मतों के बडे अंतराल से हरा दिया। अब देखना यह है कि इस चुनाव में कौन बाजी मारता है और जीत का सेहरा किसके माथे की रोनक बढ़ाएगा। यह 25 नवंबर को होने वाले मतदान में क्षेत्र के मतदाता तय करेंगे।


