युवा मैनेजमेंट विश्लेषक एवं आर्थिक सामाजिक विचारक डॉ. नयन प्रकाश गाँधी मानते है की 1985 में बलराम जाखड़ के बाद दो पूर्ण कार्यकाल हेतु पुनः चयनित लोकसभाध्यक्ष की कुर्सी पर पदस्थ ओम बिड़ला की असीम निष्ठा, कर्मठता एवं लोकहित के प्रति समर्पण से सदन का गौरव उत्तरोत्तर बढ़ेगा और संसदीय शिष्टाचारों के अनुपालना का एक नवीन इतिहास रचा जाएगा, जिससे राजस्थान का मान बढ़ेगा व विश्व की महाशक्ति के आगामी आधार स्तम्भ पुरोधा भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती मिलेगी। यही नहीं इस बार कोटा बूंदी क्षेत्र के विकास को भी तीव्र गति मिलेगी।
सदन की गरिमा, भारत के लोकतंत्र का आधार स्तंभ है। यह केवल सदस्यों के शिष्टाचार और मर्यादित आचरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचार-विमर्श की स्वतंत्रता, सभ्य बहस, रचनात्मक कार्यप्रणाली, और समग्र रूप से लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
भारत के लोकतंत्र में सदन की गरिमा का महत्व-
लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व- सदन, जनता की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। सदन की गरिमा, इन मूल्यों के प्रति सदस्यों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
निष्पक्ष और न्यायपूर्ण निर्णय- सदन में विचार-विमर्श, विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करने और सकारात्मक निर्णय लेने का अवसर प्रदान करते हैं। सदन की गरिमा, इस प्रक्रिया की निष्पक्षता और न्यायसंगतता सुनिश्चित करती है।
जनता का विश्वास- सदन की गरिमा, जनता में लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति विश्वास और सम्मान को बढ़ाती है। यह सरकार में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
राष्ट्रीय एकता और अखंडता- सदन, विविध विचारधाराओं और पृष्ठभूमि के लोगों को एक मंच प्रदान करता है। सदन की गरिमा, राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सदन की गरिमा, भारत के लोकतंत्र की रक्षा करने और उसे मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सदस्यों, राजनीतिक दलों, और नागरिकों का यह दायित्व है कि वे सदन की गरिमा को बनाए रखने के लिए मिलकर प्रयास करें। सभ्य एवं मर्यादित आचरण, स्वस्थ बहस, रचनात्मक कार्यप्रणाली, और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण, सदन को सच्चा जनता का मंदिर बनाएंगे और भारत के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगे।
इसी सदन की गरिमा के आधारस्तम्भ अपने पिछले लोकसभा ध्यक्ष पद के दौरान भारत ही नहीं अपितु विश्व में गौरव बढ़ाने वाले लोकप्रिय युवा प्रेरणा स्रोत कोटा बूंदी सांसद एवं हाल ही में चयनित लोकसभाध्यक्ष ओम बिड़ला के बारे में आइये जानते है……….
ओम बिड़ला एक साधारण परिवार से आते हैं। राजस्थान के रहने वाले बिड़ला साहब का बचपन कोटा में बिता, इनका शुरुआत से ही राजनीति में गहरी रूचि रही हैं। वह छात्र जीवन में ही आरएसएस से भी जुड़े रहें। वह संघ के विचारधारे को बढ़ाने में भी लगे रहें. इसी कारण वह छात्र राजनीति से जुड़ गए थे. छात्र राजनीति में रहते हुए ही उन्होने साल 1987 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष पर आसीन हुए. फिर साल 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। उसके बाद साल 2003 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिर तो वह लगातार जीत पर जीत दर्ज करते रहें.ओम बिड़ला साहब को 19 जून, 2019 को लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया। बिड़ला साहब कोटा-बूंदी निर्वाचन क्षेत्र, राजस्थान से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार के रूप में 16वीं और 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए. 16 मई, 2014 को अपना संसदीय पद सँभालने से पहले वे राजस्थान की विधानसभा के लिए तीन बार चुने जा चुके हैं बिड़ला साहब साल 1987 से 1991 तक कोटा से भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं। बिड़ला साहब छात्र राजनीति से आगे बढे हैं. वह 1979 में छात्र संघ के अध्यक्ष थे। और साल 2003 में हुए राजस्थान विधानसभा में कोटा दक्षिण से शांति धारीवाल के विरुद्ध अपनी पहली जीत दर्ज किया। राजनीति में आने से पहले बिड़ला साहब नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन लिमिटेड में काम किया करते थे, वहां वे कंपनी के उपाध्यक्ष के रूप में पदस्थापित थे.ओम बिरला को 18वीं लोकसभा की स्पीकर चुना गया है। इसके साथ ही वह दूसरी बार निर्वाचित होने वाले छठे स्पीकर बने हैं। पूर्ण विश्वास है कि आज नई दिल्ली स्थित संसद भवन में राजस्थान गौरव, वैश्य गौरव कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से लोकप्रिय सासंद ओम बिड़ला के दीर्घकालीन जनसेवा का अनुभव, विस्तृत संसदीय ज्ञान एवं कुशल कार्यप्रणाली का लाभ सदन के समस्त सम्मानित सदस्यों को पूर्व की भांति प्राप्त होता रहेगा। निश्चित ही, आपका यह कार्यकाल भी ऐतिहासिक नवोन्मेष के साथ नित नई उपलब्धियों से सम्पूरित होगा तथा वर्तमान सदन पुनः राष्ट्रोत्थान के महान संकल्पों की सिद्धि का साक्षी बनेगा। संसद में पूर्व की भाति नए लोक लुभावने आम जन हितार्थ ऐतिहासिक बिल पारित होंगे जो आगामी भारत को विश्वगुरु बनने की और मार्ग प्रशस्त करने में अहम् भूमिका निभाएगा।
- ओम बिड़ला का राजनितिक सफरनामा एवं महत्वपूर्ण पद
- साल 1987 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने।
- साल 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने।
- साल 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
- साल 2003 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में कोटा दक्षिण से निर्वाचित हुए।
- साल 2008 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में पुनः एक बार फिर कोटा दक्षिण से निर्वाचित हुए।
- साल 2013 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में तीसरी बार जीत दर्ज की।
- साल 2014 में मोदी लहर में विधायक रहते ही दक्षिण कोटा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा और विजय हुए।
- साल 2019 में पुनः उसी लोकसभा क्षेत्र से दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार फिर लोकसभा के लिए चुने गएँ. एमपी बनने के बाद लोकसभा का अध्यक्ष बन गएं।
- साल 2024 में पुनः उसी लोकसभा क्षेत्र से दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार फिर लोकसभा के लिए चुने गएँ. एमपी बनने के बाद दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष बन गएं।
देशवासियो को पूर्ण विश्वास है कि आज नई दिल्ली स्थित संसद भवन में राजस्थान गौरव, वैश्य गौरव कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से लोकप्रिय सासंद ओम बिड़ला के दीर्घकालीन जनसेवा का अनुभव, विस्तृत संसदीय ज्ञान एवं कुशल कार्यप्रणाली का लाभ सदन के समस्त सम्मानित सदस्यों को पूर्व की भांति प्राप्त होता रहेगा। निश्चित ही, आपका यह कार्यकाल भी ऐतिहासिक नवोन्मेष के साथ नित नई उपलब्धियों से सम्पूरित होगा तथा वर्तमान सदन पुनः राष्ट्रोत्थान के महान संकल्पों की सिद्धि का साक्षी बनेगा। संसद में पूर्व की भाति नए लोक लुभावने आम जन हितार्थ ऐतिहासिक बिल पारित होंगे जो आगामी भारत को विश्वगुरु बनने की और मार्ग प्रशस्त करने में अहम भूमिका निभाएगा।
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