जयपुर। श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या (Murder of Sukhdev Singh Gogamedi) करने वाले दोनों शूटर्स (Two shooters) को पुलिस ने शनिवार देर रात चंडीगढ़ से पकड़ लिया (Caught from Chandigarh)। राजस्थान पुलिस को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के साथ जॉइंट ऑपरेशन में यह कामयाबी मिली। नितिन फौजी को पुलिस सुबह 9 बजे जयपुर लेकर पहुंची। दूसरे शूटर रोहित राठौड़ को दोपहर 2ः30 बजे जयपुर लेकर आई। दोनों को सोडाला थाने में रखा गया है। दोनों नेपाल भागने की फिराक में थे।
एडीजी क्राइम दिनेश एमएन (ADG Crime Dinesh MN) ने बताया कि गोगामेड़ी की हत्या करने के बाद दोनों बदमाश रामवीर के साथ बगरू टोल तक पहुंचे थे। जहां से नितिन फौजी और रोहित राठौड़ (Nitin Fauji and Rohit Rathore) बस से डीडवाना पहुंचे। डीडवाना से दोनों ने टैक्सी ली और सुजानगढ़ पहुंचे। सुजानगढ़ से दिल्ली की बस में बैठकर रवाना हुए, लेकिन दोनों धारूहेड़ा पर ही बस से उतर गए। पीछे-पीछे पुलिस चल रही थी, पुलिस ने जब बस ड्राइवर को इन दोनों के बारे में पूछा तो बताया कि दोनों धारूहेड़ा उतरे हैं। जिसके बाद पुलिस ने हरियाणा जाने वाली बस-ट्रेनों को सर्च किया। पुलिस को दोनों बदमाश की लोकेशन हिसार रेलवे स्टेशन पर मिली। वहां के सीसीटीवी फुटेज आने पर दोनों की तलाश में टीमें हिसार भेजी गईं, लेकिन ये बदमाश वहां से मनाली के लिए निकल गए। मनाली में इनकी लोकेशन मिलने पर टीमें रवाना हुईं तो ये वहां से ये चंडीगढ़ पहुंच गए, यहां होटल में रुके।
दिल्ली पुलिस को शनिवार दोपहर 2 बजे इनके चंडीगढ़ में होने की पुख्ता जानकारी मिली। दिल्ली पुलिस के एडीजी क्राइम (ADG Crime of Delhi Police) रविंद्र सिंह ने राजस्थान पुलिस संपर्क किया।जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ और एडीजी क्राइम ने अपनी टीम के 7 अफसरों और पुलिसकर्मियों को इस ऑपरेशन में भेजा। पुलिस को डर था की दोनों बदमाशों के पास हथियार हो सकते हैं। अगर पुलिस ने दोपहर या शाम को रेड की और दोनों बदमाशों ने फायरिंग शुरू की तो कई लोगों की जान भी जा सकती हैं।
पुलिस ने आधी रात का इंतजार किया, जिससे किसी को नुकसान न हो और शूटर जब तक कुछ करने का प्लान बनाए उससे पहले पुलिस उन्हें पकड़ ले। पुलिस ने दोनों शूटर और उनके साथी उधम सिंह को पकड़ लिया। उधम सिंह ने भागने में इनकी सहायता की थी। दिल्ली पुलिस ने दोनों शूटर्स से रोहित गोदारा,लॉरेंस से संबंधित पूछताछ की। हत्यारों की गिरफ्तारी पर राजस्थान पुलिस ने 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था।
जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ (Jaipur Police Commissioner Biju George Joseph) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया- एक जमीनी विवाद में नितिन फौजी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उसकी फरारी काटने के लिए नितिन जयपुर आया था। भवानी सिंह उर्फ रोनी पहले से रोहित गोदारा और वीरेंद्र चारण के संपर्क में था। भवानी सिंह उर्फ रोनी ने रोहित गोदारा और वीरेंद्र चारण से नितिन फौजी की मोबाइल पर बात करवाई और उसे जयपुर में एक व्यक्ति को मारने के लिए तैयार किया। भवानी सिंह उर्फ रोनी ने 28 नवंबर को नितिन फौजी को टैक्सी से जयपुर भिजवाया। 5 दिसंबर को नितिन फौजी अजमेर रोड पर रोहित राठौड़ से मिला। इन दोनों को नवीन शेखावत स्कॉर्पियो में बैठाकर यहां से सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के मकान पर ले गया। बैठक में बातचीत के दौरान दोनों शूटर्स ने अंधाधुंध फायरिंग कर गोगामेड़ी और नवीन सिंह शेखावत की हत्या कर दी और तीसरे व्यक्ति अजीत सिंह को घायल कर दिया।
नितिन फौजी के पास एक जिगाना पिस्टल और एक मैग्जीन थी, जिसमें 20 राउंड थे। इसके अलावा दूसरी पिस्टल और एक मैग्जीन, जिसमें 15 राउंड थे। शूटर रोहित राठौड़ के पास एक पिस्टल और एक मैग्जीन, जिसमें 13 राउंड थे।चंडीगढ़ पहुंचने के बाद आरोपियों ने परिचित को घटना की जानकारी दी थी। उसे आश्वासन दिया था कि जैसे ही पुलिस का पहरा कम होगा, वे यहां से निकल जाएंगे। दोनों शूटरों का देश छोड़कर नेपाल भागने का प्लान था, लेकिन उससे पहले ही वे धरे गए। शूटर्स ने हत्या करने के बाद हथियारों को छुपा दिया था, ताकि भागते समय ट्रेन या बस में चेकिंग के समय न पकड़े जा सकें। मगर, आरोपी शूटर्स फरारी के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे थे। शूटर्स गैंगस्टर रोहित गोदारा के राइट हैंड वीरेंद्र चारण और दानाराम के संपर्क में थे।
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उन्होंने वीरेंद्र चारण और दानाराम के इशारे पर ही हत्या को अंजाम दिया गया था। हत्या करने के बाद दोनों शूटर्स वीरेंद्र चारण और दानाराम से लगातार बात कर रहे थे। जिसके बाद पुलिस ने इनकी टेक्निकल सर्विलांस शुरू कर दी। इसके बाद चंडीगढ़ पहुंचते ही इन्हें पकड़ लिया गया। वीरेंद्र चारण पर राजस्थान पुलिस ने 1 लाख का इनाम घोषित कर रखा है। चंडीगढ़ के सेक्टर 24 के होटल कमल रिजॉर्ट नाम के गेस्ट हाउस में ये छुपे हुए थे। इस गेस्ट हाउस में तीनों आरोपी नाम बदलकर छुपे थे। उन्होंने अपने नाम दविंदर कुमार, जयवीर सिंह और सुखबीर सिंह रखे हुए थे। इसके लिए उन्होंने फर्जी आधार कार्ड दिए थे।