कोटा। राजस्थान के कोटा में गुरुद्वारा अगमगढ़ दरबार साहिब का नया भवन (New building of Gurdwara Agamgarh Darbar Sahib) बनाने के लिए देशभर से सिख संगत ने एकजुट होकर सेवा का ऐतिहासिक कार्य किया। पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से करीब 3 हजार सेवादार गुरुवार को कोटा पहुंचे और मिलकर भवन की पहली मंजिल की छत डालने का कार्य पूरा किया। इस दौरान सेवादारों ने 10 घंटे में 8460 फीट की छत तैयार (8460 feet roof ready in 10 hours) कर दी।
अंतरराज्यीय सहयोग से सेवा का अद्वितीय दृश्य
इस भव्य निर्माण कार्य में कोटा और हाड़ौती क्षेत्र की संगत के साथ-साथ गुरु नानक नाम लेवा संगत और देशभर के विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी सहयोग किया। इस आयोजन से संगत में उत्साह और आस्था का माहौल बना रहा।
गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब के इस तीन मंजिला भवन की पहली मंजिल की छत गुरुवार सुबह साढ़े 8 बजे से डाली जाने लगी और शाम साढ़े 6 बजे तक सेवादारों ने इसे पूर्ण कर दिया। इस परियोजना की अगुवाई मुख्य जत्थेदार बाबा लक्खा सिंह और जत्थेदार बाबा बलविंदर सिंह ने की। भवन की पहली मंजिल की शटरिंग 10 दिन बाद खोली जाएगी, और इसके बाद आगे का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
शानदार संरचना और कला का संगम
गुरुद्वारा अगमगढ़ दरबार साहिब (Gurdwara Agamgarh Darbar Sahib) का नया भवन न सिर्फ अपनी विशालता में अनोखा है, बल्कि इसकी सजावट भी आकर्षक होगी। इस भवन के गुंबदों पर 5 किलो सोने का शिखर लगाया जाएगा, और दीवारों पर कलात्मक मीनाकारी का कार्य किया जाएगा। दरबार साहिब की ऊंचाई 90 फीट तक होगी, जिसमें सुंदर बुर्ज और कलात्मक डिजाइन इसे भव्यता प्रदान करेंगे।

सामूहिक प्रयास से भव्य निर्माण
भवन निर्माण में सेवादारों (Servants in building construction) ने 8-8 इंच के 38 बीम तैयार किए, जिसमें जेसीबी और आधुनिक लोडरों का उपयोग किया गया। इस पूरे कार्य में लगभग 1700 सीमेंट के कट्टे लगे। सेवा के इस पवित्र कार्य में बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, और युवा सभी ने मिलकर योगदान दिया। इसके साथ ही, इस निर्माण कार्य के दौरान गुरुद्वारा परिसर में गुरु का लंगर भी निरंतर चलता रहा, जिसमें सभी को भोजन उपलब्ध कराया गया।
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संगत की सेवा का विस्तार
गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब का यह सेवा कार्य केवल कोटा तक सीमित नहीं है। इस गुरुद्वारे के द्वारा देशभर के 15 से अधिक गुरुद्वारों में श्रमदान, लंगर सेवा और सामाजिक सेवा कार्य भी करवाए जाते हैं। इनमें गुजरात के भेंट द्वारिका, भरूच, बड़ौदा, पंजाब के तरणतारन और गोविंदवाल साहिब, राजस्थान के हनुमानगढ़, पुष्कर और भीलवाड़ा के ऐतिहासिक गुरुद्वारे शामिल हैं।