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हाईकोर्ट ने लू से मरने वालों के आश्रितों को मुआवजा देने के दिए आदेश, लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान

High Court ordered to give compensation to the dependents of those who died due to heat wave, took suo motu cognizance

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में चल रही लू से मरने वालों के आश्रितों को उचित मुआवजा दिया जाए (Appropriate compensation should be given to the dependents of those who died due to heat wave)। अदालत ने मौसम के वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए केंद्र और राज्य सरकार सहित सभी से सामूहिक प्रयासों से पृथ्वी को भावी पीढ़ी के लिए बचाने का आह्वान किया है।

जस्टिस अनूप ढंड ने प्रकरण पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव व गृह व स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे हर विभाग के एसीएस या प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में विभागों की समिति बनाएं। यह कमेटी राजस्थान क्लाइमेट चेंज प्रोजेक्ट के तहत हीट एक्शन प्लान और वृक्षारोपण, जल, वन और बिजली संरक्षण के लिए बनाई योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तत्काल कदम उठाए।

अदालत ने हाईकोर्ट प्रशासन को कहा है कि वह प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए खंडपीठ के समक्ष 1 जुलाई को मामला सूचीबद्ध करें। अदालत ने मामले में केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय, पर्यावरण व वन मंत्रालय, चिकित्सा व परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, श्रम व उद्योग विभाग, नागरिक व आपूर्ति विभाग, राज्य के मुख्य सचिव, मौसम विभाग के सचिव, एसीएस होम, राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग, एसीएस पीडब्ल्यूडी व पीएचईडी, एसीएस वन विभाग, एसीएस बागवानी, एसीएस वायु प्रदूषण व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर के अध्यक्ष से जवाब देने के लिए कहा है। अदालत ने कहा कि केवल पृथ्वी ही जीवन वाला ग्रह है और इसी पर जीवन संभव है। पृथ्वी करोड़ों प्रजातियों का घर है। ऐसे में सभी को मिलकर इस ग्रह को बचाना चाहिए, ताकि आगामी पीढियां सुरक्षित माहौल में रह सके।

कोर्ट ने कहा कि लू और शीतलहर से मौत के बचाव को लेकर 18 दिसंबर, 2015 को राज्यसभा में बिल पेश किया गया था, जिसमें लू और शीतलहर के संबंध में कई प्रावधान किए गए थे, लेकिन 9 साल बीतने के बाद भी अब तक यह संसद से पारित होकर कानून नहीं बन सका है। अदालत ने कहा कि यह देखने में आया है कि कई एक्शन प्लान बनने के बाद भी उन्हें प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि ऐसे प्रावधानों को कानूनी अमली जामा पहनाया जा सके।

कोर्ट ने कहा कि गत वर्ष दिल्ली आपदा प्रबंधन ने हीट वेव एक्शन प्लान बनाया है। जिसमें अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। ऐसे में राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को भी ऐसा हीट वेव एक्शन प्लान बनाना चाहिए।

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कोर्ट ने कहा है कि राजस्थान जलवायु परिवर्तन परियोजना के तहत बनाई गई हीट एक्शन प्लान को तत्काल लागू किया जाए। वहीं आमजन की आवाजाही वाली सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाए। इसके अलावा ट्रैफिक सिग्नलों पर छाया मुहैया कराई जाए, अदालत ने कहा कि आमजन, दैनिक वेतन भोगी, रिक्शा व ठेला चालकों को जरूरी होने पर ओआरएस के पैकेट दिए जाएं, ताकि उन्हें हीट वेव स्ट्रोक से बचाया जा सके। राज्य सरकार सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर हीट वेव रोगियों के इलाज के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराए। लोगों को भीषण गर्मी के बारे में विभिन्न माध्यमों के जरिए सचेत किया जाए।

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