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एक ही परिवार के 4 लोगों की दर्दनाक मौत, दो सगे भाइयों और उनकी पत्नियां के शव एक साथ पहुंचे तो मचा कोहराम

Painful death of 4 people of the same family, when dead bodies of two brothers and their wives arrived together, there was chaos.

राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के निवासी एक परिवार के चार सदस्यों की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत (Tragic death of four members of a family in a road accident) हो गई। पंजाब के मोगा जिले के बुट्टर कलां के पास कार पर डंपर पलट जाने के कारण एक ही परिवार के चार लोगों की दर्दनाक मौत शुक्रवार को हो गई थी। आज रविवार को चारों के शव जब एक साथ रामसिंहपुर पहुंचे तो चीख पुकार मच गई।

चार लोगों की दर्दनाक मौत
जब रतनसिंह के दोनो बेटे सोहवत और कर्मजीत सिंह तथा उनकी पत्नियों लवप्रीत कौर और मनप्रीत कौर के शव एक साथ चार एंबुलेंस में घर पहुंचे तो पिता रतन सिंह, दादा त्रिलोचन सिंह, मां दलबीर कौर और तीन बहनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। बहने तो शव को देखते ही बेहोश हो गई और वहीं करमजीत सिंह और मनप्रीत कौर 5 साल की बेटी नवनीत कौर यह सब देखकर खामोश रहकर आंखों ही आंखों से कई सवाल पूछ रही थी।

गमगीन माहौल में शवों को एंबुलेंस से नीचे नहीं उतारा गया और एंबुलेंस में ही अंतिम दर्शन करवाने के बाद रामसिंहपुर मंडी की कल्याण भूमि में चारों शवों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। एक ही परिवार के चार सदस्यों की हुई मौत की अंतिम यात्रा में रामसिंहपुर मंडी सहित आसपास क्षेत्र के भी काफी संख्या में लोग शमिला हुए और इस दर्दनाक हादसे से सबकी आंखे नम थी।

एक साथ 4 एम्बुलेंस में पहुंचे पांच शव
इस भीषण सड़क हादसे में 2 सगे भाइयों और उनकी पत्नियों की दर्दनाक मौत हो चुकी थी। शनिवार को मोगा जिले में चारों शवों का पोस्टमार्टम करवाया गया और आज सुबह लगभग 10ः20 पर चारों शव एक साथ चार एम्बुलेंसों में रामसिंहपुर पहुंचे। सबसे पहले छोटे बेटे सोहावत, उसके बाद उसकी पत्नी लवप्रीत कौर फिर बड़े बेटे करमजीत और सबसे अंत में करमजीत की पत्नी मनप्रीत कौर के शव की एम्बुलेंस घर के बाहर पहुंची। जैसे ही चारों के शव रामसिंहपुर में मृतकों के घर के सामने पहुंचे उसी समय मृतकों के घर और गली में हाहाकार मच गया। मृतकों के परिजन एक दूसरे को ढांढस देने का प्रयास कर रहे थे मगर वह खुद भी अपने आप को हौसला नहीं दे पा रहे थे।

एंबुलेंस में ही करवाए अंतिम दर्शन
परिजनों की हालत देखकर परिजनों के करीबियों ने निर्णय लिया कि शवों को एंबुलेंस से नीचे नहीं उतारा जाए और एंबुलेंस में ही अंतिम दर्शन करवाये जाए। जैसे ही अंतिम दर्शन के लिए सभी एंबुलेंस की खिड़कियां खोली गई उसी दौरान भयंकर हाहाकार मच गया और अंतिम दर्शन में शामिल हुए सभी लोग हाहाकार मचाते हुए मृतकों के अंतिम दर्शन कर रहे थे। परिजन और करीबी लोग मृतकों के माता-पिता और दादा और बहनों को ढाढस देने का प्रयास कर रहे थे मगर सभी प्रयास असफल साबित हो रहे थे।

भाई के शव को देखते ही बहनें हुई बेहोश
मृतक करमजीत सिंह और सोहावत की तीन बड़ी बहनें हैं। बहने बार-बार कभी अपने भाई के शवों को देखती और कभी अपनी भाभियों के शवों को देखती। तीनों बहनें अपने भाईयों और भाभियों को बार-बार उठने के लिए कह रही थी मगर वे चारों तो हमेशा के लिए सो चुके थे। बड़ी बहन ईशान, मंझली रानी, छोटी बहन बब्बी ने जब अपने भाई और भाभियों के शवों को देखा तो बहाने बेहोश हो गई। मौके पर मौजूद रिश्तेदारों और लोगों ने उन्हें उठाकर अंदर ले गए और मौके पर ही डॉक्टर को बुलाकर उनका इलाज शुरू करवाया।

दोनों बहुएं सास को ये बोल कर गई थी
दलबीर कौर के दोनों बेटे अपनी पत्नियों के साथ एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए गए थे। दलबीर कौर ने जब अपनी बहुओं के शव देखे तो उसने रोते हुए कहा कि-तुम दोनों तो मुझे कह कर गई थी कि सिर्फ खाना बना लेना और घर का काम रहने देना। घर के काम की चिंता मत करना.. मगर तुमने यह क्या किया… तुम खुद ही लौटकर नहीं आई। जिसने भी दलबीर कौर के मुंह से यह बात सुनी वह अपनी रुलाई नहीं रोक पाया। मृतकों के दादा त्रिलोचन सिंह और बाप रतन सिंह की आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। दोनों बार-बार अपने बेटों और बहुओं को पुकार रहे थे, रतन सिंह ने अपने बेटों और बहूओ के शवों को देखते हुए कहा कि उसका सब कुछ खत्म हो गया है अब वह भी जीकर क्या करेगा।

एक साथ चार अर्थियां निकली घर से
बूढ़े मां-बाप के लिए इससे बड़ा बुरा दिन और क्या होगा कि जब उनके सामने ही चार-चार अर्थिया उनके घर से निकल रही हो। आज अंतिम दर्शन के बाद लगभग 12ः30 बजे एंबुलेंस में ही चारों अर्थिया घर से निकली और घर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कल्याण भूमि पहुंची। चारों की अंतिम यात्रा में सैंकड़ो की संख्या में लोग शामिल हुए और प्रत्येक व्यक्ति की आंखें नम थी।

चारों का एक साथ किया अंतिम संस्कार
रामसिंहपुर मंडी के कल्याण भूमि में एक साथ चारों मृतकों के लिए चिता बनाई गई और दोनों भाइयों और उनकी पत्नियों के शवों को चिता पर रखा गया। सोहावत के साले नवदीप सिंह ने सबसे पहले अपनी बहन की चिता को मुखाग्नि दी। उसके बाद अपने बहनोई सोहावत की चिता को मुखाग्नि दी। उसके बाद मनप्रीत कौर के भाइयों मनजीत सिंह और जसपाल सिंह ने अपनी बहन की चिता को मुखाग्नि दी। वहीं करमजीत सिंह को लवप्रीत कौर के चाचा बलविंदर सिंह ने मुखाग्नि दी।

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5 वर्षीय बेटी खामोशी से देखती रही
जब चारों शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो उस समय करमजीत सिंह और मनप्रीत कौर की 5 साल की बेटी नवनीत कौर अपने चचेरे चाचा की गोदी में थी और यह सब देख रही थी। नवनीत बिल्कुल खामोश थी उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसके माता-पिता और चाचा चाचा इन चिताओं से उठेंगे और उसे गोद में ले लेंगे मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था।

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