बूंदी। राजस्थान के बूंदी जिले में तीन विधानसभा सीटें है, जिसमें हिंडोली, केशोरायपाटन और बूंदी शामिल है। जिले में दो सीटों पर भाजपा का कब्जा है, तो एकमात्र हिंडोली विधानसभा पर कांग्रेस के अशोक चांदना का कब्जा है। बात बूंदी विधानसभा (Bundi Assembly) की करें तो यहां विगत 15 सालों से भाजपा के विधायक अशोक डोगरा (BJP MLA Ashok Dogra) जीतते आए हैं और चौथी बार भी भाजपा ने अशोक डोगरा पर भरोसा जताया हैं। लेकिन इससे नाराज होकर भाजपा युवा नेता रूपेश शर्मा ने बग़ावत (Rupesh Sharma rebelled) भाजपा के गढ़ में दरार डाल दी। इन सब के बीच जनता इस बार डोगरा और अन्य प्रत्याशियों पर कितना भरोसा करेगी यह 3 दिसंबर को आने वाले परिणाम के बाद ही सामने आ पाएगा। 25 नवंबर को होने मतदान में बूंदी विधानसभा के 157799 पुरूष, 151418 महिला, कुल 309220 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेगें।
बूंदी विधानसभा सीट पर ब्राह्मण, मीणा, एससी एसटी और मुस्लिम मतदाता बाहुल्य क्षेत्र है इस बार चार ब्राह्मण नेता चुनाव मैदान में होने से ब्राह्मण वोटो का तो बटवारा हो गया। यहां कांग्रेस के हरिमोहन शर्मा, बीजेपी के अशोक डोगरा, निर्दलीय प्रत्याशी रुपेश शर्मा, किसान प्रतिनिधि निर्दलीय प्रत्याशी गिरिराज गौतम मैदान में हें, इनमे सर्वाधिक ब्राह्मण मत हरिमोहन शर्मा के पक्ष में जाते दिख रहे है। वहीं दूसरी ओर मीणा समाज के भी दो प्रत्याशी मैदान में है, ऐसे में मीणा समाज के मतों में भी विभाजन देखा जा रहा है। तो वही मुस्लिम वोट एक मुश्त कांग्रेस के पक्ष में जाने की संभावना हैं। वही निर्दलीय प्रत्याशी रुपेश शर्मा भी भाजपा को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं ऐसे में समीकरण हरिमोहन शर्मा के पक्ष में जाते दिख रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी अशोक डोगरा को लेकर लोगों में ज्यादा नाराजगी तो नहीं है लेकिन लगातार तीन बार विधायक रहकर बड़े-बड़े कोई विकास कार्य नहीं करना, भाजपा रूपेश शर्मा के बागी होकर चुनाव लड़ना उनके लिए हानिकारक बन रहा है, तो वहीं दूसरी ओर इस बार ब्राह्मण समाज भी पूरी तरह से उनके साथ नहीं दिख रहा है। ऐसे भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगड़ते नज़र आ रहे है।
वही गत् चुनाव में कांग्रेस से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा (Former minister Harimohan Sharma was a candidate from Congress) को एक बार फिर से यहां कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। वे यहां 2018 का पिछला चुनाव मात्र 713 मतों से पराजित होकर विधायक तो ना बन सके पर पूरे 5 साल जनता के बीच रहे और लोगों की जन समस्याओं को सुना और उनका समाधान किया, जिसके बल पर वह जनता में अपनी मजबूत पकड़ बनाने में कामियाब दिख रहे हैं।
बूंदी जिला मुख्यालय होने के बावजूद भी विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है, यहां करीब दो दशक से विकास के कोई बड़े काम नहीं हुए हैं, जिससे बूंदी लगातार पिछड़ता गया। जहां बीते 15 सालों से अशोक डोगरा विधायक रहे। वे वसुंधरा राजे की सरकार ने भी विधायक रहे। लेकिन जनता के छोटे-छोटे काम तो किए लेकिन विकास के नाम पर उनकी कोई बड़ी उपलब्धि नही रही। शहर ही नहीं अपितु पूरा विधानसभा क्षेत्र विकास को तरस गया, जिसके चलते इस बार भाजपा विधायक अशोक डोगरा की राह आसान नही लग रही है। तो वही दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी ने कुछ ना होते भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने पर अपने विवेक और अपनी पकड़ के दम पर अनुषंशा कर कई स्वीकृतियां करवाकर विकास कार्य करवाए और जनता के दुख दर्द बांटने का काम किया।
बूंदी विधानसभा के मुद्दों को लेकर शहर के लोगों से चुनावी माहौल के बारे में जानकारी की तो क्षेत्र के लोगों ने कहा कि यहां विकास होना चाहिए। यहां उद्योग धंधे नहीं है, बेरोजगारी भी क्षेत्र की बड़ी समस्या है, बूंदी पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, यहां हर साल हजारों देसी विदेशी सैलानी सैर करने आते हैं। ऐसे में यहां टूरिज्म उद्योग काफी पनप सकता है। बशर्ते यहां सुनियोजित विकास हो। यहां राइस मिलों के अलावा कोई दूसरी इंडस्ट्री नहीं है ऐसे में यहां के नौजवानों को नोकरी और मजदूरों को रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। बड़े शिक्षा संस्थान व कोचिंग भी यहां नहीं है। जिसके चलते यहां छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा सहित अन्य तैयारी के लिए कोटा या अन्य शहरों की तरफ जाना पड़ता है।
बूंदी कोटा के नजदिक होने व बढ़ता कोटा का प्रभाव बूंदी केे विकास को निगल रहा है। पहले बूंदी जिले के 11 राजस्व गांव को कोटा यूआईटी में शामिल किया गया और उसके बाद अब कोटा विकास प्राधीकरण बनाकर 63 गांव को उसमें शामिल किया गया। जिसकी आवाज केवल मात्र बूंदी जिले से कांग्रेस नेता हरिमोहन शर्मा ने उठाई, जिसको जिसकी भी लोग सराहना कर रहे हैं।
तो वहीं दूसरी और पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा ने बूंदी को यूआईटी का दर्जा देने के लिए भी काफी प्रयास किया, अगर बूंदी को यूआईटी का दर्जा मिलता है तो यहां का शहर विकसित होगा और विकास के नए आयाम स्थापित कर सकेगा। वहीं जिले को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले डाबी बरड़ क्षेत्र के खान व्यापारियों की समस्याओं के समाधान, क्षेत्र गेर खातेदारी से खातेदारी अधिकार देने के लिए काम करना होगा।
यहां बैठे एक व्यक्ति ने कहा कि बूंदी में अशोक डोगरा को 15 साल मौका देकर देख लिया अब हरिमोहन शर्मा को भी मौका देकर देखेंगे। 1985 में हरिमोहन शर्मा द्वारा विधायक रहते बूंदी में विकास के काम किए गए थे उसके बाद से बूंदी में कोई बड़े विकास के कार्य नहीं हुए। वहीं बैठे एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि राजस्थान की सरकार ने हमें बिजली के बिलों में छूट दी, ₹500 में सिलेंडर देकर राहत पहुंचाई और तो और 25 लख रुपए का स्वास्थ्य बीमा तक दे रहे हैं, साथ में कई योजनाएं सरकार दे रही है। तो फिर हम किसी और के बारे में क्यों सोचें।
यहां बैठे एक नौजवान में कहा कि राजस्थान में भले ही पेपर लीक हुए हैं, लेकिन राजस्थान सरकार ने इसे रोकने के लिए कानून बनाया, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यात्रा निशुल्क की है और आगे से एक बार रजिस्ट्रेशन प्रतियोगी परीक्षा के लिए करने की घोषणा भी सरकार कर चुकी है तो जिससे युवाओं का भविष्य में काफी चिंताएं कम होगी। वैसे पेपर लीक राजस्थान की समस्या नही है यह अन्य प्रदेशों में भी हुआ है।
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बहरहाल, जो भी हैं 25 नवंबर को होने मतदान में लोग वोटिंग कर अपना विधायक चुनेगें, इनमें से जनता की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा यह 3 दिसंबर को सामने आएगा। फिलहाल हम मतदाताओं से अपील करना चाहतें हैं कि बिना लोभ-लालच के भयमुक्त होकर शतप्रतिशत मतदान करें, मतदान कर लोकतंत्र के महापर्व में भागीदार बने।