Rajasthan Elections-राजस्थान के डीडवाना विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व मंत्री यूनुस खान (Independent candidate and former minister Yunus Khan) गांव-गांव लोगों से समर्थन मांगने के साथ ही मंदिर के सामने शीश नवाते और तेजा जी महाराज का जयकारा लगाना नहीं भूलते हैं उनके आक्रामक चुनाव अभियान ने इस विधानसभा क्षेत्र में न सिर्फ मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी (Created a big challenge for Bharatiya Janata Party) है।
कभी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले खान भाजपा से टिकट कटने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं, कांग्रेस ने इस सीट से अपने वर्तमान विधायक चेतन डूडी (MLA Chetan Dudi) को टिकट दिया है, तो भाजपा ने जितेंद्र सिंह जोधा (BJP added Jitendra Singh) को उम्मीदवार बनाया है।
यूनुस खान डीडवाना के हर गांव और ढाणी (खेतों में बसावट) में जाने पर वहां के मंदिर में शीश नवाते हैं और लोगों से समर्थन मांगते हैं। वीर तेजाजी एक राजस्थानी लोक देवता हैं, जिन्हें समाज के कई वर्गों विशेषकर जाट समुदाय में पूजा जाता है।
सर्वसमाज के जनसेवक के रूप में बनाई पहचान
खान का कहना है कि वह सर्वसमाज के जनसेवक के रूप में लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं। उन्होंने कहा कि मेरे साथ डीडवाना की 36 बिरादरी खड़ी है। मैं सर्वसमाज, सर्वधर्म के जनसेवक के रूप में लोगों के बीच हमेशा से मौजूद हूं। मुझे यकीन है कि जनता इस चुनाव में एक बार फिर मुझे समर्थन देगी।
वसुंधरा सरकार में सार्वजनिक निर्माण व परिवहन मंत्री रहे
वसुंधरा सरकार में सार्वजनिक निर्माण और परिवहन मंत्री रहे यूनुस खान वर्ष 2003 और 2013 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से डीडवाना का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, उनकी सभाओं में कई ऐसे लोग मिले जो मूलतः भाजपा के मतदाता हैं, लेकिन वह खान के साथ हुए अन्याय का हवाला देकर उनके समर्थन की बात करते हैं।
स्थानीय मतदाता हैं खान के साथ?
डीडवाना के कोलिया गांव की सभा में मौजूद महावीर चौधरी कहते हैं कि श्हम भाजपा और मोदी जी के साथ हैं, लेकिन सच कहूं तो यूनुस खान के साथ अन्याय हुआ है, भाजपा को उन्हें टिकट देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि लोकसभा में भाजपा को वोट देंगे, लेकिन इस चुनाव में हमारा वोट अलमारी (खान का चुनाव चिह्न) के साथ जाएगा।
वहीं, एक अन्य स्थानीय मतदाता का कहना है कि अगर यूनुस खान भाजपा के उम्मीदवार होते तो भाजपा की राह यहां बहुत आसान हो जाती, लेकिन अब मुकाबला कड़ा है, अब कहा नहीं जा सकता कि इस त्रिकोणीय संघर्ष में कौन जीतेगा। डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.64 लाख मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिम, जाट और माली समुदायों के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका मानी जाती है।
कोई भी निर्दलीय विजेता नहीं रहा
इस क्षेत्र से पिछले 30 वर्षों से कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी जीत नहीं सका है, आखिरी बार 1993 में निर्दलीय उम्मीदवार चेनाराम विजयी हुए थे, जिन्होंने भाजपा के भंवर सिंह को पराजित किया था। डीडवाना विधानसभा सीट से एक दिलचस्प पहलू यह भी जुड़ा हुआ है कि पिछले कई चुनावों से कोई भी निवर्तमान विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा नहीं पहुंच सका है, क्योंकि वह या तो चुनाव हार गया या फिर उसकी पार्टी ने उसका टिकट काट दिया।
यह भी पढ़ें: कोटा में PM मोदी की चुनावी सभा 21को, संभाग की 17 विधानसभा सीटों पर क्या रहेगा इसका असर
पायलट और खान का 2018 में हुआ था मुकाबला
मारवाड़ क्षेत्र के मशहूर किसान नेता मथुरादास माथुर भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, वह पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चेतन डूडी ने भाजपा उम्मीदवार जितेंद्र जोधा को करीब 40,000 के भारी मतों के अंतर से पराजित किया था। वहीं, वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा ने यूनुस खान को डीडवाना से टोंक भेज दिया था, जहां उनका मुकाबला सचिन पायलट से था, इस चुनाव में यूनुस खान बुरी तरह हारे थे, पायलट को 1,09,040 और खान को 54,861 वोट मिले थे।