आधुनिकता के इस दौर में उन्नत खेती (Advanced Farming) के लिए जरूरी नहीं की बहुत एरिया में फसल उगाई जाएं। अगर आप मेहनत और योजनाबद्ध तरीके से खेती करते हैं तो एक बीघा में भी लाखों रुपए की कमाई (Earning lakhs of rupees even in one bigha) कर सकते है। ऐसी ही सफलता की अनोखी कहानी है फर्रुखाबाद के एक किसान की (Unique success story of a farmer from Farrukhabad)। अमानाबाद के एक किसान ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। पुश्तैनी और मौसम के विपरीत धनिये कि खेती शुरू की है इससे इन्हें लाखों रुपए की आमदनी हो रही है।
धनिया जो मसालों और सब्जियों के साथ लगभग सभी लोग खाने में पसंद करते हैं। इससे कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं, ठंड के दिनों में सभी जगह मिल जाती है लेकिन गर्मी और बरसात में बड़ी ही मुश्किल से तैयार हो पाती है। इस समय जो किसान तैयार कर लेता है उसकी चांदी हो जाती है। वही क्षेत्र के जो किसान अगैती खेती (Early Farming) करते हैं वह अच्छा लाभ भी कमाते हैं। ऐसा ही उदाहरण यहां के किसान ने प्रस्तुत किया है।
कैसे होती है धनिया की खेती?
फर्रुखाबाद के अमानाबाद निवासी किसान सुनील कुमार पाल ने बताया कि वह धनिया की खेती (Coriander Cultivation) पिछले 10 वर्ष से कर रहे हैं। सबसे पहले खेत को समतल करते हैं। जैविक खाद डालकर तैयार हो जाने के बाद खेत में समतलीकरण करके धनिए की बुआई कर देते है। जब खेत में धनिया की बुआई हो जाती है और पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए उसमें पानी दिया जाता है, नमी कम होने पर पौधे झुलस जाते हैं। ऐसे में धनिया के पौधों को पर्याप्त नमी में रखा जाता है, इसमें अधिक सिंचाई नहीं की जाती है बल्कि यह फसल कम पानी में आसानी तैयार हो जाती है। चार से पांच कटिंग होने के बाद इन पौधों को बढ़ने देते हैं, कुछ ही दिनों बाद इन पौधों से सूखी धनिया मिल जाती है, जो मसालों के रूप में प्रयोग की जाती है।
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सालाना लाखों में हो रही कमाई
एक बीघा भुमी में क्षेत्रफल के अनुसार 10 हजार रुपए कि आमतौर पर लागत आ जाती है, अगर बाजार में इसके अच्छे रेट मिल जाते हैं तो एक से डेढ़ लाख रुपए का आमतौर पर मुनाफा हो जाता है। धनिया की फसल तैयार करने में 30 से 50 दिन लग जाते हैं, अगैती फसल करने से इस समय पर बाजार में इसकी डिमांड अच्छी आ रही है। धनिया की फसल हाथों हाथ बिक जाती हैं, इस समय पर फर्रुखाबाद के कमालगंज क्षेत्र में लगभग 80 रुपए किलो धनिया की फसल बिक रही है। ऐसे समय पर यहां के किसानों को प्रति महीने 80 से 1 लाख रुपए की बचत हो रही है।