राजस्थान में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां लगातार बढ़ती जा रही है। नागौर लोकसभा सीट इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने RLP के लिए छोड़ी थी। जिस पर आरएलपी ने खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) को चुनावी मैदान उतारा है। जबकि भाजपा ने ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है। ज्योति मिर्धा- हनुमान बेनीवाल तीसरी बार आमने-सामने (Jyoti Mirdha- Hanuman Beniwal face to face for the third time) चुनाव लड़ रहे हैं। दरअसल, ज्योति मिर्धा साल 2023 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं।
प्रदेश की सबसे हॉट सीट नागौर पर ज्योति मिर्धा के लिए जीत की राह आसान नहीं होने वाली है। उनके सामने हनुमान बेनीवाल सबसे बड़ी चुनौती हैं। पिछले दो चुनावों में हनुमान बेनीवाल की वजह से ही ज्योति मिर्धा की हार हुई थी।
लोकसभा चुनाव 2014 में जब ज्योति मिर्धा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं। उस वक्त बेनीवाल निर्दलीय चुनाव में उतरे और ज्योति मिर्धा की हार हो गई थी। भाजपा प्रत्याशी छोटूराम चौधरी चुनाव जीत गए।
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ गठबंधन किया था। ऐसे में दूसरी बार ज्योति मिर्धा को हार का मुंह देखना पड़ा था। 2019 में मिर्धा ने कांग्रेस के टिकट पर हनुमान बेनीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और हार गई थीं। तब हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।
नागौर परंपरागत रूप से जाट राजनीति का प्रमुख गढ़ माना जाता है। नागौर के जातिगत समीकरण पर गौर करें तो नागौर में जाट सर्वाधिक हैं। उसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की तादाद है। इसके अलावा राजपूत, एससी और मूल ओबीसी के मतदाता भी अच्छी खासी तादाद में हैं।
नागौर लोकसभा सीट पर मिर्धा परिवार का लंबे समय तक वर्चस्व रहा है। नाथूराम मिर्धा परिवार जाट समुदाय से ताल्लुक रखता हैं, जिसका जाट समाज में बड़ा दबदबा माना जाता है। नागौर से सर्वाधिक बार सांसद बनने का रिकॉर्ड पूर्व केंद्रीय मंत्री और किसान नेता नाथूराम मिर्धा के नाम है, जिन्होंने नागौर से छह बार जीत दर्ज की थी।