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ससुराल दूर लगा तो दुल्हन ने रास्ते में ही तोड़ दिया सात जन्मो का बंधन, दूल्हे को छोड़ लौटी मायके

When the in-laws house was far away, the bride broke the bond of seven births on the way

राजस्थान। एक युवती ने घरवालों की मर्जी से कोर्ट मैरिज और फिर अरेंज मैरिज (Court Marriage And Then Arranged Marriage) की। पूरे धार्मिक एंव सामाजिक रीति-रिवाज से दुल्हन बनाकर दूल्हे संग विदा (Bid Farewell To The Groom As A Bride) कि गई। कार में सवार नई-नवेली दुल्हन ने करीब 400 किलोमीटर का सफर भी तय कर लिया। लेकिन जब उसे पता चला कि ससुराल पहुंचने के लिए अभी भी 900 किलोमीटर की यात्रा और करनी है तो दिमाग घूम गया।

ससूराल की दूरी (in-laws distance) व सफर में लगने वाले समय से घबराई दुल्हन ने गाड़ी रुकने का इंतजार किया। जब चाय नाश्ते के लिए दूल्हा समेत उसके घरवाले उतरे तो दुल्हन पास खड़े पुलिसकर्मियों के पास जा पहुंची और रोते हुए अपनी शादी तोड़ने की जिद पर अड़ गई (adamant on breaking the marriage)। इसके बाद पुलिस ने थाने से महिला पुलिसकर्मी बुलाकर दुल्हन को वापस मायके भेज दिया और उधर दूल्हा बेरंग लौट आया।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के बनारस (Banaras of Uttar Pradesh) की रहने वाली वैष्णवी की शादी बीकानेर राजस्थान के रवि से तय हुई थी। रवि अपनी बारात लेकर गुरुवार को बीकानेर आया। ज्यादा खर्च न हो, इसलिए रवि और वैष्णवी की बनारस में कोर्ट मैरिज और फिर अरेंज मैरिज हुई। विदाई के बाद बनारस से 400 किलोमीटर का सफर करके लगभग 7 घंटे में दूल्हा-दुल्हन (Groom Bride) कानपुर के सरसौल इलाके तक पहुंच पाए। उन्हें कुल 1300 किमी. के आसपास दूरी तय करनी थी। इस दौरान सरसौल के दूध माता पेट्रोल पंप के पास दूल्हे ने अपनी इनोवा कार रुकवाकर चाय-नाश्ते की इच्छा जताई।

रवि और उसके रिश्तेदार जब कार से नीचे उतरे तो उस समय वहां पर पुलिस की पीआरवी वैन 2729 भी खड़ी थी, कार में बैठी दुल्हन वैष्णवी अचानक पुलिस को देखकर जोर-जोर से रोने लगी। दुल्हन को रोता देखकर पीआरवी जवानों को कुछ संदेह हुआ। उन्हें लगा कहीं कि ये लोग लड़की को पकड़कर जबरन तो नहीं ले जा रहे हैं।

इस पर पुलिस ने पूछताछ की तो दुल्हन वैष्णवी (Bride Vaishnavi) ने आरोप लगा दिया कि ये लोग हमको शादी करके ला रहे हैं। इन्होंने पहले बताया था कि इलाहाबाद (प्रयागराज) में रहते हैं। लेकिन अब मुझे राजस्थान के बीकानेर ले जा रहे हैं। मैं बनारस से आते-आते सात घंटे के सफर में थक गई हूं। मुझे अब इससे आगे नहीं जाना। मुझे ये शादी अभी तोड़नी है। मुझे इतनी दूर शादी नहीं करनी है। मैं अपनी मां के आसपास ही रहना चाहती हूं।

दुल्हन की पूरी कहानी सुनकर पुलिस सभी को महराजपुर थाने ले आई। जहां थानेदार सतीश राठौर ने दूल्हे से बात की तो उसने शादी के कोर्ट मैरिज के कागज दिखाकर बताया कि हम बीकानेर के रहने वाले हैं। लड़की वालों को सब जानकारी थी। लेकिन अब वैष्णवी (Bride Vaishnavi) विदा होने के बाद बीच रास्ते में कह रही है कि मुझे उतनी दूर शादी करके नहीं जाना है। इसके बाद थानेदार सतीश ने बनारस में दुल्हन की मां से बात की।

कॉल पर वैष्णवी की मां ने बताया कि मेरे पति नहीं हैं। एक रिश्तेदार ने बेटी की शादी तय कराई थी। हम लोगों को तो यही मालूम था कि दूल्हा इलाहाबाद में रहता है। अब मेरी बेटी अगर बीकानेर नहीं जाना चाहती तो न जाए। आप रास्ते से ही उसे मैके बनारस भिजवा दीजिए, हम शादी तोड़ देंगे।

सात जन्मों का सफर सिर्फ 7 घंटे ही मिला साथ!
इसके बाद पुलिस ने आमने-सामने बैठाकर बातचीत के जरिए दुल्हन को समझाने की कोशिश की। लेकिन दुल्हन इतनी दूर ससुराल जाने को तैयार नहीं हुई, तो फिर पुलिस ने आपसी समझौते से दुल्हन (Bride Vaishnavi) को महिला पुलिसकर्मियों के साथ बनारस भेज कर उसकी मां के सुपुर्द करवा दिया। उधर, दूल्हा सात जन्मों के सफर को सिर्फ सात घंटे का सफर मानकर ही बीकानेर के लिए रवाना हो गया।

दूल्हा, बोला- हमारा तो काफी खर्चा हो गया
दूल्हे रवि का कहना था कि लड़की और उसके घर में सबको मालूम था कि हम बीकानेर में रहते हैं। लेकिन बीच रास्ते में आकर वह कहने लगी आगे इतनी दूर नहीं जाना, तो हम क्या करते, जैसी उसकी मर्जी। हम रास्ते से चले आए। हमारा तो काफी खर्चा भी हो गया है।

दोनो को समझाया लड़की नहीं मानी
इस मामले में एसीपी अमरनाथ ने बताया कि दुल्हन रास्ते में रुकी हुई इनोवा कार में रो रही थी। पूछताछ पर कहने लगी कि हमें रिश्ता तय करते वक्त बताया था कि ससुराल वाले इलाहाबाद में रहते हैं, लेकिन मुझे बीकानेर राजस्थान ले जाया जा रहा है। पुलिस ने लड़की की मां से बात की, तो उसने भी कहा लड़की नहीं जा रही तो कोई बात नहीं है। हमें यह शादी नहीं चाहते, इसके बाद आपसी समझौते के तहत लड़की को उसकी मां के पास बनारस भेज दिया गया और लड़का बीकानेर चला गया। बहरहाल, दूल्हा-दुल्हन के रिश्तों की जो गाड़ी सात जन्मों तक पहुंचनी थी, वह सात सौ किलोमीटर पर ही रुककर जुदा हो गई।

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