सवाई माधोपुर, (राकेश चौधरी)। जिले के मित्रपुरा तहसील क्षेत्र के थनेरा गाँव के निवासी श्रवण कुमार बैरवा के बेटे हीरालाल व दौसा जिले के गाँव भांडारेज निवासी हीरालाल बैरवा की बेटी अंजू एक नई मिसाल पेश की। 21 मई को वर-वधू ने नई मिसाल पेश करते डॉ. भीम राव आंबेडकर को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बंधे (Setting a new example, the bride and groom tied the knot considering Dr. Bhim Rao Ambedkar as a witness)। नव विवाहित जोड़े ने बिन फेरे हम तेरे (Bin phere hum tere) की मिसाल कायम करते हुए शादी की रस्में पुरी की।
सवाई माधोपुर के थनेरा निवासी श्रवण कुमार के बेटे हीरालाल बैरवा की शादी दौसा जिले के गाँव भांडारेज निवासी हीरालाल बैरवा की बेटी अंजू के साथ 21 मई को संपन्न हुई। जो समाज और जिले में चर्चा का विषय बनी है।
बिन फेरे हम तेरे-
Bin phere hum tere- इस जोड़े ने समाज के सामने ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। शादी में कोई दान-दहेज नहीं लिया, ना फेरे करवाये गए। इस शादी गवाह बने देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीम राव आंबडेकर। उनके चित्र के सामने उन्हीं ही को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बंध गए। थनेरा निवासी दुल्हा हीरालाल थर्ड ईयर का स्टूडेंट हैं, जबकि दुल्हन अंजू बैरवा 2nd year पास हैं।
दुल्हे हीरालाल ने बताया कि जिस दिन उनका रिश्ता दौसा जिले के गाँव भांडारेज की अंजू बेरवा के साथ तय हुआ, तभी से तय कर लिया था कि विवाह सादगी से करेंगे। आपसी सहमति से दोनों ने तय किया कि फेरे नहीं लेंगे। नई तरह की शादी करेंगे, जो लोगों के बीच में यादगार होने के साथ अनोखी पहल होगी।
दुल्हन पक्ष के लोगों को भी बताया मंडप नहीं सजेगा। मंच पर डॉ. भीम राम आंबेडकर, गुरु रविदास, महात्मा बुद्ध के चित्र लगाए जाएगे, इन सभी को साक्षी मानते हुए शादी की रस्में पूरी की जाएगी। शादी में अग्नि के फेरे नहीं लिए जाएगे। दुल्हे हीरालाल ने बताया कि उनकी पत्नी (दुल्हन) के पिता हीरालाल मजदूरी करते हैं। माता हीरा देवी ग्रहणी है। एक भाई सरकारी स्कूल में टीचर है। और उन्होनें इनके प्रस्ताव पर हामी भरते हुए शादी की रस्में पुरी करवाईं।
युवाओं के लिए दिया संदेश
हीरालाल ने बताया की बिना दान दहेज का विवाह रचाया है। बिना खर्च के शादी कर समाज के नव युवाओं को संदेश दिया है।
जरूरी नहीं दिखावा हो
दोनों नव दंपती ने विवाह की रस्मे पूरी होने के बाद बताया कि विवाह में दिखावा जरूरी नहीं है। ऐसे बहुत से माता-पिता हैं, जो दहेज के चक्कर में जान गवां देते हैं। ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने ये कदम उठाया है। उनका मानना है कि इससे निश्चित ही समाज में बदलाव आएगा। उनका प्रयास जाति धर्म से ऊपर उठकर नए भारत का निर्माण करना है और गांव गांव में भी हम लोग समाज के युवाओं को समाज के लोगो को जागरूक करने का काम करंगे, जिससे हमारा समाज दहेज उत्पीड़न से बच सके।