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नौकरी का हक उनका या बेटे का, किसी देवर-जेठ का नहीं, CM गहलोत के समर्थन में बोलीं वीरांगनाएं

The right to the job belongs to him or the son, not to any brother-in-law, the heroines spoke in support of CM Gehlot

जयपुर। राजधानी जयपुर में एक तरफ जहां पुलवामा शहीदों की पत्नियां मुख्यमंत्री से मिलने के लिए पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रही हैं। उन्हें मुख्यमंत्री आवास की तरफ जाने तक नहीं दिया जा रहा हैं, इसी बीच कुछ वीरांगनाएं शनिवार दोपहर अचानक मुख्यमंत्री हाउस पर पहुंचीं, उनसे मुख्यमंत्री ने मुलाकात भी की। सीएम गहलोत से मुलाकात (Meeting with CM Gehlot) के बाद उन वीरांगनाओं ने कहा कि वे अपने और अपने बच्चों के लिए नौकरी चाहती हैं, किसी देवर-जेठ के लिए नहीं।

ये वीरांगनाएं अचानक कैसे सामने आ गईं? इतने दिनों से जब पुलवामा शहीदों की वीरांगनाएं धरना दे रही थीं, तब यह कहां थीं? उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने तक नहीं दिया गया। पुलिस की लाठी खाकर, मुंह में घास दबाकर गुहार लगाई, इसके बाद भी सीएम अशोक गहलोत उनसे मिलने की बजाय ट्वीट कर उनकी मांगों को जायजा नहीं बता रहे थे। पुलिस ने उन वीरांगनाओं को उन्हें रात 3 बजे जबरन सिविल लाइन से उठाकर उनके घरों में नजरबंद कर दिया था। घर के बाहर भी पुलिस का कड़ा पहरा था।

प्रदेश के झुंझुनू, सीकर, भरतपुर सहित अन्य जिलों की करीब 25 वीरांगनाएं जयपुर पहुंचीं और लग्जरी गाड़ियों से मुख्यमंत्री आवास गईं। कुछ देर बाद उनमें से कुछ वीरांगनाओं ने कहा कि वे सीधे सीएम से मिलने पहुंचीं हैं। उन्हें 30 मिनट के अंदर ही बुला लिया गया। इसके बाद सीएम हाउस के आगे उन्हें मीडिया के सामने भी लाया गया।
मीडिया के सामने उन वीरांगनाओं ने कहा कि उनके पति शहीद हुए हैं तो उनकी जगह नौकरी का हक उनका या उनके बेटे का है, नौकरी किसी जेठ-देवर को नहीं मिलनी चाहिए। एक अन्य वीरांगना ने कहा कि पुलिस को पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए, उन वीरांगनाओ को भी सीएम से आकर मिलना चाहिए।

वहीं सवाल उठता है कि वे वीरांगनाएं मुख्यमंत्री से ही तो मिलना चाहती हैं, लेकिन उनसे मिल नहीं पा रही हैं। जब यह वीरांगनाएं मुख्यमंत्री से मिली तो मीडिया से भी रूबरू हुई। मीडिया से बातचीत भी वहां की जहां 2020 मानेसर प्रकरण के बाद मीडिया की एंट्री तक नहीं है। ऐसे में सवाल है कि वीरांगना वर्सेज वीरांगना की पटकथा लिखी किसने है?
दरअसल, 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 3 जवानों की वीरांगनाएं बीते 28 फरवरी से प्रदर्शन कर रही हैं। वह नियमों में बदलाव की मांग करते हुए कुछ दिनों से सीएम गहलोत से मुलाकात का समय मांग रही थीं। उनकी मांग है कि न सिर्फ उनके बच्चों, बल्कि उनके रिश्तेदारों को भी अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाए। उनकी अन्य मांगों में शहीद के नाम पर सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में शहीदों की प्रतिमाएं लगाना भी शामिल है।

Written by CITY NEWS

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