जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल (RTH BILL) को लेकर सरकार और निजी अस्पताल (Private hospital) के डॉक्टर अपनी जिद पर अड़े हैं। दोनो ही झुकने को तैयार नहीं है। समस्या सरकार की बड़ी है क्योंकि सरकार के उपर पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी है। ऐसे में अब राजस्थान सरकार (Government of Rajasthan) ने बिना झुके नया रास्ता निकाल लिया है और इस पर आज से ही काम शुरू कर दिया गया है। दरअसल सरकार ने एक हजार नए जूनियर रेजीडेंट की भर्ती (Recruitment of one thousand new junior residents) करने का बीती रात ऑर्डर (order) निकाल दिया है। माना जा रहा है कि महाबंद में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक शामिल होने पर सरकार कार्रवाई कर सकती है।
इस ऑर्डर के अनुसार सभी जिम्मेदार मेडिकल अफसरों को आज से ही भर्ती शुरू करने और इंटरव्यू करने के लिए कहा गया है। सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर बढ़ाएं जाएं ताकि इलाज मिल सके। ऐसे में एक हजार जूनियर रेजीडेंट की भर्ती (Recruitment of Junior Resident) की जा रही है। एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) में ही करीब तीस फीसदी जूनियर रेजीडेंट को भर्ती किया जाएगा और अन्य जिलों में भी अलग अलग अनुपात में भर्ती की जाएगी ताकि मरीजों को सही समय पर इलाज मिल सके। हांलाकि इनकी जॉब सिर्फ छह महीने ही मान्य होगी।
इधर, सरकार ने निजी अस्पताल के डॉक्टरों के साथ मिलकर विरोध करने वाले सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स के खिलाफ भी एक्शन की तैयारी कर ली गई है। चिकित्सा विभाग के संयुक्त शासन सचिव इकबाल खान ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं कि आज सभी चिकत्सकों, मेडिकल स्टाफ और चिकित्सा से जुड़े अन्य कार्मिकों के वीकली ऑफ और अन्य तरह के अवकाश रद्द कर दिए जाएं। पिछले दिनों किन अस्पतालों के डॉक्टर्स ने निजी अस्पतालों के समर्थन में प्रदर्शन किया, उनकी भी डिटेल मांगी गई है।
सरकार ने निर्देश दिए हैं कि किसी सरकारी कार्मिक का निजी अस्पताल संचालकों (Private hospital operators) का किसी भी तरह से मदद करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, नौकरी तक से भी बर्खास्त किया जा सकता है। ऐसे में आज की हड़ताल में दो फाड़ होना तय है। निजी अस्पतालों की ओर से किया गया महाबंद आज सफल होने के आसार ही नजर नहीं आ रहे हैं।
जूनियर रेजिडेंट्स के 1000 पद स्वीकृत किए
चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश में मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी सूरत में चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत नहीं किए जाएं। आदेश में कहा कि राज्य में वर्तमान में निजी चिकित्सालयों का संचालन बंद होने के कारण मरीजों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यह भी देखने में आया है कि राजकीय चिकित्सालयों में भी चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं। चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित करें कि सभी आवश्यक सेवाएं विशेष रूप से ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू आपातकालीन सेवाएं एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग से संबंधित सेवाएं निर्बाध रूप से चलती रहे। चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य दैनिक रूप से चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ की उपस्थिति निर्धारित प्रपत्र में प्रातः 09ः30 बजे तक विभाग को भिजवायें। समस्त चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ को केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रधानाचार्य/अधीक्षक द्वारा ही अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा एवं इसकी सूचना भी विभाग की अविलम्ब उपलब्ध करायी जाए।
सरकार ने जारी किए आदेश
अवकाश स्वीकृत कराये बिना कर्तव्य से अनुपस्थिति को स्वेच्छा से अनुपस्थिति मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लायी जायेगी। सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया जाता है कि रेजिडेन्ट चिकित्सकों द्वारा किसी भी प्रकार की कर्तव्य के प्रति लापरवाही राजकीय सम्पत्ति को नुकसान, मरीजों एवं परिजनों से दुर्व्यवहार किये जाने पर उनका पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई प्रारंभ करें। राज्य सरकार के नियमित कार्मिकों के कार्य बहिष्कार करने पर उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ करें, उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।