संत के शव को 35 घंटे बाद पेड़ से उतारा, BJP MLA के खिलाफ केस दर्ज, होगी CBI जांच

जालोर। जिले के राजपुरा गांव में पेड़ पर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या करने वाले संत रविनाथ महाराज का शव 35 घंटे बाद पेड़ से उतारा (The body of Sant Ravinath Maharaj, who committed suicide by hanging himself on a tree in Rajpura village, was brought down from the tree after 35 hours.) गया। भाजपा विधायक पर एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच सीआईडी से (Registering FIR on BJP MLA and investigating the matter with CID) कराने के आश्वासन के बाद संत समाज और साधु समर्थक शव को पेड़ से उतारन के लिए राजी हुए। जिसके बाद संत के शव को पोस्टमार्टम के लिए जसवंतपुरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा गया है। पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।
दरअसल, राजपुरा गांव में सुंधा तलहटी के पास एक संत ने गुरुवार रात फांसी लगाकर जान दे दी थी। शुक्रवार सुबह मंदिर के बाहर सड़क किनारे लगे पेड़ पर संत रविनाथ महाराज का शव लटकता हुआ मिला था। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस को उनके पास से एक सुसाइड नोट मिला था, लेकिन जांच प्रभावित होने की बात कहकर पुलिस ने उसे सार्वजनिक नहीं किया गया था।
संत समाज के लोग और साधु समर्थक सुसाइड नोट को सार्वजनिक करने और नामजद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए थे। उन्होंने कार्रवाई नहीं होने तक शव को पेड़ से उतारने से भी मना कर दिया था। जिसके बाद से ही पुलिस और जिला प्रशासन संत समाज के लोगो और साधु समर्थकों को मनाने का प्रयास कर रहा था। शनिवार को दोनों पक्षों में भाजपा विधायक पूराराम चौधरी सहित तीन आरोपियों को खिलाफ केस दर्ज करने और मामले की जांच सीआईडी से कराने के आश्वासन के बाद सहमति बनी। जिसके बाद संत के शव को उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
जानकारी के अनुसार भीनमाल से विधायक पूराराम चौधरी की आश्रम और सुंधा माता सड़क के बीच 20 बीघा जमीन है। करोड़ों की इस जगह पर विधायक रिजॉर्ट बनाना चाहते हैं। अगर, ऐसा होता है तो सड़क से आश्रम जाने का रास्ता बंद हो जाएगा। रिजॉर्ट के लिए दो दिन पहले जमीन की नपाई भी की गई थी। कहा जा रहा है कि इसी से परेशान होकर संत रविदास ने आत्महत्या कर ली थी। हालांकि, विधायक ने इस बात से साफ इनकार किया है।
विधायक बोले, आश्रम के लिए दिया था रास्ता
विधायक चौधरी ने कहा कि सुंधा माता तलहटी और हनुमान आश्रम के पास मेरी खातेदारी की जमीन है। गुरुवार को तहसीलदार की अनुमति के बाद पटवारी से जमीन नपवाई थी। इस दौरान साधु भी हमारे साथ थे। उनके कहने पर मैंने अपनी जमीन से हनुमान आश्रम के लिए रास्ता भी छोड़ दिया था। मेरा उनके साथ किसी तरह का विवाद नहीं था। पुलिस को इस मामले की जांच कर सच्चाई सामने लानी चाहिए।