जयपुर। बीजेपी के 6 विधायकों ने (6 BJP MLAs) गुरूवार को विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव का नोटिस सौंपा (Notice of breach of privilege was handed over to the Assembly Secretary) है। जिसमें यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, पीएचईडी मंत्री महेश जोशी, सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चैधरी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, सिरोही से निर्दलीय विधायक और सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा और आदर्श नगर जयपुर से कांग्रेस विधायक रफीक खान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया गया है।
बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने कहा- आज राजस्थान विधानसभा में बीजेपी के हम 6 विधायकों ने कांग्रेस के 6 विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव मूव किया (We 6 MLAs of BJP move a resolution of breach of privilege against 6 MLAs of Congress) है। जिन कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे थे और बाद में कोर्ट में राजस्थान विधानसभा सचिव ने कहा कि ये इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं थे। तो ये इस्तीफे इन विधायकों ने दबाव में लिए हैं। स्पष्ट रूप से विधानसभा ने कोर्ट में यह शपथ पत्र दिया है इसलिए सीधा-सीधा यह विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है। हमने विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन का नोटिस सौंपा है। जिस पर जल्द से जल्द चर्चा करवाने की मांग हम आज विधानसभा सदन में रखेंगे।
भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने विधानसभा के बाहर मीडिया से कहा कि इन 6 विधायकों ने कांग्रेस के अन्य विधायकों पर 25 सितम्बर 2022 को इस्तीफा देने का दबाव बनाया था। भाजपा विधायकों ने कहा विधानसभा में भी माना है कि विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफे नहीं दिए। राजस्थान हाईकोर्ट में विधानसभा की ओर से दिए गए जवाब में यह बात मानी गई है।
बीजेपी के जिन 6 विधायकों ने कांग्रेस के 6 विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव मूव किया है, उनमें उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी, रामलाल शर्मा, जोगेश्वर गर्ग, अनिता भदेल, वासुदेव देवनानी शामिल हैं।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा- बीजेपी के विधायक नौटंकी कर रहे हैं। उन्होंने विशेषाधिकार हनन किया है। एक तरफ तो राजेंद्र राठौड़ के हाउस में बयान देख लें कि विधायिका बहुत बड़ी होती है, कानून बनाती है और इसकी रक्षा होनी चाहिए। दूसरे कई प्रकरण हैं जिनके उदाहरण मैं गिना सकता हूँ। लेकिन आज दूसरी ओर वो खुद कोर्ट में चले गए। केंद्रीय विधि मंत्री भी कोर्ट्स के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वो कहते हैं जजों की नियुक्ति वाले कॉलेजियम में सरकार का नुमाइंदा होना चाहिए। ये सब कुछ कैप्चर करना चाहते हैं। यहां बेवजह कोर्ट में मामला ले जा रहे हैं। कोई मुद्दा नहीं है। जो मुद्दा खत्म हो गया, बात खत्म हो गई, उसके बाद कोर्ट में ले जाने से क्या मतलब है। सस्ती लोकप्रियता के लिए ये लोग ऐसा कर रहे हैं, इसके अलावा कुछ नहीं है।
मंत्री रामलाल जाट ने कहा- हाई कोर्ट, विधायिका, न्यायपालिका पालिका सब के कार्यक्षेत्र अलग-अलग हैं। सवाल यह है कि विशेषाधिकार के हनन का प्रस्ताव लाया गया है। हमारे स्पीकर बुद्धिजीवी आदमी हैं, वह नियम कायदे कानून से वह विधानसभा को चलाते हैं, वह सांसद भी रहे हैं भारत सरकार में मंत्री भी रहे। उन्होंने कई अच्छी प्लानिंग भी इस राज्य के विकास के लिए की है। वो ऐसे तो वह कुछ लाते नहीं हैं। सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से यह तय किया है कि सभी का कार्य क्षेत्र अलग है। विधायकी का कार्य अलग है, न्यायपालिका का कार्य अलग है, तो जब यह डिसाइड हो चुका है और सुप्रीम कोर्ट के कई जज इसके बारे में कह चुके हैं।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी क्लीयर किया हुआ है। लेकिन यहां विपक्ष के नेता है, उप नेता उस बात को बार-बार कह रहे हैं। वो झूठ बात को जोर-जोर से बोलते हैं। जब नियमों में 157 से 159 तक विधानसभा अध्यक्ष बोल चुके हैं, क्लीयर हो चुका है। लेकिन मेवाड़ी में कहावत है कि कोई व्यक्ति नीचे गिर जाता,हार नहीं मानता तो टांग ऊपर रखकर कहता है कि टांग मेरी ऊपर थी। इस तरह की कहावत बीजेपी के लोग करना चाहते हैं।विशेषाधिकार लाने का हमारा अधिकार है और डिसीजन करना, लागू करना, कमेटी को भेजना और डिस्कशन करना विधानसभा स्पीकर का अधिकार है।
सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चैधरी ने बीजेपी के विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर कहा- बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है। सदन की कार्यवाही नियम कानून से चलती है। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उप नेता प्रतिपक्ष को फटकार लगाने पर यह बौखलाए हुए हैं।