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वीरांगना और शहीद के बच्चे को ही मिले हक, नियम नहीं बदलेंगे, सरकार ने किया रुख स्पष्ट

Chief Minister Ashok Gehlot met the heroines of martyrs and their children at CM House

जयपुर। राजस्थान में वीरांगनाओं के साथ किए गए दुर्व्यवहार का मामला शांत नहीं हो रहा है। इसे लेकर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शनिवार को जयपुर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएम हाउस पर शहीदों की वीरांगनाओं और उनके बच्चों से मुलाकात (Chief Minister Ashok Gehlot met the heroines of martyrs and their children at CM House) की। हालांकि, ये वो वीरांगनाएं नहीं थीं जो मांगों को लेकर धरने पर बैंठी थीं।

वीरांगनाओं से मुलाकात करने के बाद सीएम गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार के लिए शहीदों और वीरांगनाओं का सम्मान सर्वाेच्च है। सरकार शहीदों के आश्रितों को नियमानुसार राजकीय सेवाओं में नियोजित करती है। भविष्य में भी नियमों का पालन किया जाएगा। शहीदों के आश्रितों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।

गहलोत ने कहा कि पूर्व कार्यकाल में शहीदों के लिए कारगिल पैकेज लागू किया था। इस पैकेज के अंतर्गत वर्तमान में शहीदों के परिवार के लिए 25 लाख रुपए, 25 बीघा जमीन, हाउसिंग बोर्ड से आवास ये ना लेने पर अतिरिक्त 25 लाख रुपये, वीरांगनाओं या उनके बच्चों के लिए नौकरी और गर्भवती वीरांगनाओं के बच्चों के लिए नौकरी सुरक्षित करने का प्रावधान है। साथ ही, शहीद के माता-पिता के लिए 5 लाख रुपए की एफडी करवाने, शहीदों की प्रतिमा लगाने और किसी एक सार्वजनिक स्थल का शहीदों के नाम से नामकरण करने के प्रावधान भी किए गए थे।

गहलोत ने कहा कि शहीदों से जुडे मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। वीरांगना या बच्चों के अलावा परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान नियमों में नहीं है। यह मांग सही नहीं है, इससे भविष्य में वीरांगनाओं को अनुचित पारिवारिक एवं सामाजिक दबाव झेलना पड़ सकता है। शहीदों की वीरांगनाओं ने इस अवसर पर राज्य सरकार की ओर से शहीदों के परिवारों को दिए जा रहे पैकेज पर संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नौकरी केवल शहीद की वीरांगना या बच्चों को ही दी जानी चाहिए।

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