जयपुर। राजस्थान में आठ महिने बाद विधानसभा चुनाव होने है,जिसको लेकर सरगर्मिया तेज हो चुकी है। इस बीच कांग्रेस की विधानसभा चुनाव को लेकर आयी आंतरिक सर्वे रिपोर्ट (internal survey report) की जयपुर से दिल्ली तक चर्चा की जा रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने 2018 में जीते 99 विधायकों में से 50 की हार निश्चित है। इसमें प्रदेश के कई मंत्री और विधायक शामिल है। सबसे ज्यादा खतरा मंत्रियों की सीट पर (Danger on the seat of ministers) है। सर्वे में यह बात साफ है कि अगर इन्हें टिकट मिला तो सीट जाना तय बताया है। हालांकि सर्वे में अशोक गहलोत सरकार की स्थिति अच्छी बताई गई है।
कांग्रेस पार्टी कार्यालय में 17 अप्रैल से 20 अप्रैल तक तीन दिवसीय विधायकों के साथ व्यक्गितगत चर्चा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सभी विधायकों और मंत्रियों को उनके क्षेत्र की हालत बता दी है। प्रभारी रंधावा ने तो कई विधायकों को पहले ही कह दिया है कि कतई भी आप जीत नहीं पाएंगे।
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि दस दिन में संगठन के पदों को भरा जाएगा। कांग्रेस करीब दो दर्जन से अधिक जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्ति करेगी। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी भी गठित की जाएगी। कमेटी से निष्क्रिय रहने वालों और बैठकों में भाग न लेने वालों को हटा दिया जाएगा।
2013 के चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी। मंत्री रहे 31 नेता हारे सिर्फ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री महेंद्रजीत मालवीय, गोलमा देवी, बृजेंद्र ओला और राजकुमार शर्मा ही जीत पाए थे। शांति धारीवाल, दुर्रु मियां, भरत सिंह, बीना काक, डॉ.जितेंद्र सिंह, राजेंद्र पारीक, भंवरलाल मेघवाल, ब्रज किशोर शर्मा, परसादीलाल, हेमाराम और हरजीराम बुरड़क चुनाव हार गए थे। 2008 में कांग्रेस की हालत और भी खराब हो गई थी। 75 विधायकों को दुबारा टिकट दिया और 70 विधायक चुनाव हार गए। 2003 में भी गहलोत के 19 मंत्री चुनाव हार गए थे। सिर्फ 34 ही विधायक दुबारा विधानसभा पहुंचे थे। यही वजह है कि इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन विधानसभा चुनावों की गलती नहीं दोहराना चाहते हैं।
कंग्रेस की क्या है रणनीति
कांग्रेस ने चुनाव से पहले विधायकों को बुलाकर उन्हें बताया कि यह रणनीति इसलिए बनाई है जिससे पार्टी में एका हो और टिकट को लेकर विरोध न हो। इसके लिए पहले सर्वे कराकर बता दिया जाए। विधायक और मंत्री खुद इज्जतदार तरीके से टिकट ट्रांसफर पर सहमत हो जाएं। दूसरी बात जहां थोड़ी बहुत दिक्कत है। वहां जनता की मांगे पूरी करके विधायक का जीतना सुनिश्चित किया जाए।
युवाओ को कांग्रेस देगी ज्यादा टिकट
दिल्ली में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुलाकात के बाद अब कांग्रेस पार्टी युवा होने की तरफ बढ़ रही है। एक साथ ही कई विधानसभा क्षेत्रों में युवा नेताओं को आगे बढ़ाया जाएगा। इसे पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट से भी जोड़कर देखा जा रहा है। गुटबाजी को तोड़ने के लिए नए चेहरों की तलाश शुरू कर दी है। इसे उदयपुर के संकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है। इसमें कई बुजुर्ग नेताओं को टिकट न देने की बात कही गई थी।
15 और 10 साल से हार रही कांग्रेस
सर्वे में यह बात सामने आई कि कांग्रेस पार्टी 52 ऐसी सीटें हैं जहां 15 साल से लगातार हार रही है। 2008, 2013 और 2018 में यहां कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। इसके साथ 41 ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस लगातार 10 सालों से हार रही है। अब कांग्रेस यहां पर नए चेहरों के रूप में कई ख्याति प्राप्त लोगों को टिकट देगी।
साधेगी जातीय समीकरण
कांग्रेस जातीय नेताओं के माध्यम से विधानसभा के समीकरण साधेगी। इसके लिए सभी जातीयों में राष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर प्रभाव और वर्चस्व रखने वाले नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है। विधायकों के जरूरत के अनुसार नेताओं को प्रयोग विधानसभा क्षेत्रों में किया जाएगा। एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए टिकट को विशेष तरह से बांटा जाएगा।
इन सीटो पर 15 साल से हार रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी गंगापुरसिटी, मालपुरा, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, ब्यावर, नागौर, खींवसर, मेड़ता, पाली, जैतारण, सोजत, मारवाड़ जंक्शन, अनूपगढ़, भादरा, बीकानेर ईस्ट, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, फुलेरा, विद्याधरनगर, मालवीयनगर, नदबई, धौलपुर, महुआ, भोपालगढ़, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, सांगानेर, बस्सी, किशनगढ़बास, बहरोड, थानागाजी, अलवर शहर, कुशलगढ़, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंजमंडी, झालरापाटन, सिरोही, रेवदर, उदयपुर, घाटोल, बाली, गंगानगर, और खानपुर सीट पर 15 सालों से लगातार हार रही है।
इन सीटो पर 10 साल से हार रही कांग्रेस
कांग्रेस आमेर, तिजारा, मुंडावर, नसीराबाद, मकराना, सुमेरपुर, फलौदी, अहोर, जालोर, रानीवाड़ा, पिंडवाड़ा, आबू, गोगूंदा, उदयपुर ग्रामीण, मावली, सलूंबर, धरियावद, आसपुर, सागवाड़ा, चौरासी, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, सांगरिया, पीलीबंगा, लूणकरणसर, श्री डूंगरगढ़, चुरू, सूरजगढ़, मंडावा, चौमूं, दूदू, गढ़ी, कपासन, शाहपुरा, मांडलगढ़, केशोरायपाटन, चित्तौड़गढ़, बड़ी सादड़ी, कुंभलगढ़, छबड़ा, डग और मनोहरथाना में लगातार 10 साल से हार रही है।
राजस्थान में तीन सह प्रभारी नियुक्त
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान में तीन सह प्रभारी नियुक्ति किए हैं। इसमें अमृता धवन, काजी निजामुद्दीन और वीरेंद्र सिंह राठौड़ का नाम शामिल है। इसके साथ ही एआईसीसी से तरुण कुमार को मुक्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को पार्टी आलाकमान से मुलाकात की थी और सर्वे रिपोर्ट भी दिखाई थी। इसके बाद राजस्थान चुनाव में अच्छे तरीके से काम करने के लिए यह निुयक्ति की गई है।