Akshaya Tritiya : बैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का पर्व पूरे भारत में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है, यह बसंत और ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल का महोत्सव है। इस पर्व का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि इस दिन किए गए कर्मों का फल अक्षय (Akshaya) हो जाता है। इस महत्वपूर्ण पर्व के साथ कई परम्पराएं भी जुड़ी हुई हैं।
बता दे कि बुंदेलखंड में यह व्रत अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर कंवारी कन्याएं अपने भाई, पिता, गांव-घर और कुटुंब के लोगों को शगुन बांटती हैं और गीत गाती हैं, जिसमें एक दिन पीहर न जा पाने की कचोट व्यक्त होती है।
जबकि वही राजस्थान (Rajasthan) में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन वर्षा के लिए शगुन (Shagun) निकाल कर वर्षा की कामना की जाती है। लड़कियां झुंड बनाकर घर-घर जाती हैं और शगुन (Shagun) गीत गाती हैं। लड़के पतंग उड़ाते है, सतनजा (सात अनाज) से पूजा की जाती है। मालवा में नए घड़े के ऊपर खरबूजा और आम्रपत्र रखकर पूजा होती है।
किसानों के लिए भी यह दिन शुभ माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन कृषि कार्य प्रारंभ करने पर वह शुभ और समृद्धि देता है। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन प्रातः जल्दी जागकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद दान, जप, तप, हवन आदि कर्मों को करने से शुभ और अनंत फल प्राप्त होता है।