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धारीवाल ने जयपुर में कोटा के व्यक्ति को कौड़ियों में अलॉट की करोड़ों की जमीन- किरोड़ीलाल

Dhariwal allots crores of land to Kota's person in Jaipur in pennies - Kirorilal

जयपुर। राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा (Rajya Sabha MP Dr. Kirorilal Meena) ने आरोप लगाया है कि नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल (UDH Minister Shanti Dhariwal) ने कोटा के व्यक्ति को जयपुर में कौड़ियों के दाम करोड़ों रुपए की जमीन अलॉट कर दी (Kota’s person was allotted land worth crores of rupees in Jaipur at the cost of pennies)।

स्किल डेवलपमेंट (skill development) के नाम पर प्रताप नगर स्थित राज आंगन योजना में आवंटित (Allotted in Raj Aangan Scheme) की गई 2377.36 वर्गमीटर जमीन पर स्किल डेवलपमेंट का कोई काम नहीं हुआ। बल्कि वहां आलीशान बंगला बन गया है। इस जमीन की बाजार कीमत करीब 45 करोड़ रुपए है। जबकि आरजी मेमोरियल एज्युकेशन सोसायटी कोटा (RG Memorial Education Society Kota) को इसका आवंटन मात्र 6 करोड़ 18 लाख रुपए में किया है। क्योंकि इस संस्था का कर्ता-धर्ता अश्विनी मंत्री शांति धारीवाल का खास आदमी है।

मीणा ने मीडिया कर्मियों को बताया कि पहले यह जमीन अलग संस्था में रजिस्ट्रेशन करवाकर अलॉट करने की कोशिश की गई थी। लेकिन, तब यह प़ॉलिसी और नियमों में नहीं आ रही थी। क्योंकि उसके लिए 2500 वर्गमीटर भूमि होना जरूरी था। इसलिए बाद में यह कौशल विकास के नाम पर आवंटित की गई। इस जमीन आवंटन के लिए आवेदन ही 12 मार्च, 2020 को किया गया। मात्र 8 दिन में सारी प्रक्रिया पूरी कर 20 मार्च को संबंधित सभी अधिकारियों को एक जगह बुलाकर इस जमीन अलॉटमेंट की फाइल पर दस्तखत करवा लिए गए। करीब 45 दिन बाद फिर एक मीटिंग बुलाकर बाकी रहे अफसरों के भी फाइल पर एक साथ दस्तखत करवा लिए गए। मीणा ने यह भी आरोप लगाया कि इस जमीन आवंटन की फाइल पर मंत्री शांति धारीवाल ने नॉट अलाउ का नोट भी डाला हुआ है। फिर एक महीने बाद ही दुबारा कैसे आवंटन हो गया।

इधर, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के प्रवक्ता ने तथ्यात्मक स्थिति बताते हुए कहा कि आरजी मेमोरियल एज्यूकेशन सोसायटी को संस्थानिक 2377.36 वर्गमीटर भूमि संपत्ति आवंटन समिति की 20 मार्च, 2020 को हुई बैठक में नियमानुसार आरक्षित दर पर आवंटित की गई है। इसका अनुमोदन विभागीय मंत्री ने 16 जून, 2020 को किया। वर्तमान में मौके पर यह जमीन आज भी खाली है। इस पर कोई आलीशान बंगला नहीं बना है। जिस संस्था को यह जमीन आवंटित की गई है, उसे 7 साल के अंदर कभी भी निर्माण करने की छूट है।

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