राजस्थान में चुनाव नतीजे आये हुए आज 8वें दिन का वक्त बीत चुका है, लेकिन राजस्थान में अभी तक मुख्यमंत्री फेस को लेकर तस्वीर साफ नहीं (The picture is not yet clear regarding the Chief Minister’s face in Rajasthan) हुई है। भाजपा ने मुख्यमंत्री तय करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। लेकिन वो अभी तक राजस्थान नहीं पहुंचे हैं। शनिवार को खबर आई थी कि सोमवार को विधायक दल की बैठक हो सकती है। लेकिन आज सोमवार को खबर आई कि अब विधायक दल की बैठक मंगलवार को (Legislative party meeting on Tuesday) होगी।
मुख्यमंत्री के चयन को लेकर चल रही उठापटक के बीच भाजपा ने अपने सभी विधायकों को मंगलवार को जयपुर में जुटने को कहा है। भाजपा विधायक दल की बैठक मंगलवार शाम 4 बजे भाजपा प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई है। दोपहर 01ः30 बजे से भाजपा के सभी नव-निर्वाचित विधायकों का रजिस्ट्रेशन प्रारंभ होगा।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री एंव विधायक भजनलाल शर्मा ने कहा कि सभी नव-निर्वाचित विधायकों को अनिवार्य रूप से विधायक दल की बैठक में उपस्थित रहने के निर्देश दिये गये हैं। भजनलाल शर्मा ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सह-पर्यवेक्षक भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पाण्डेय और राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे विधायक दल की बैठक में मुख्य रूप से उपस्थित रहेंगे। पहले विधायकों से वन-टू-वन बातचीत होगी जिसके बाद लंच के बाद मुख्यमंत्री के नाम की औपचारिक घोषणा की जा सकती है।
भाजपा ने विधायक दल की बैठक से पहले विधायकों को किसी नेता से मिलने पर रोक लगाई है। बावजूद इसके रविवार रात को कई विधायक वसुंधरा राजे और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी मिले थे। कई नेता विधायकों को फोन कर मुख्यमंत्री के लिए समर्थन करने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले वसुंधरा राजे ने दिल्ली में पीएम मोदी, अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। हालांकि की राजे ने दिल्ली जाते हुए जयपुर एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वो अपनी बहु से मिलने जा रही हैं।
मुलाकातों के कई सियासी मायने
विधायक दल की बैठक से पहले वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का यूं बीजेपी विधायकों से मिलना राजस्थान की सियासत में नई चर्चा छेड़ रहा है। रविवार रात को राजे से कई विधायकों ने मुलाक़ात की है। ऐसा भी माना जा रहा है कि इस बार आलाकमान विधायकों की राय को महत्व देना चाहता है। इसी लिए प्रमुख नेताओं से दिल्ली में मंत्रणा के बाद भी विधायकों का अपने-अपने पसंदीदा उम्मीदवार के यहां जमना इस बात को और अधिक पुख्ता करता है। राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में इन मुलाकातों के कई सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। मुलाकात करने वाले विधायकों में अजय सिंह किलक, अंशुमान भाटी, वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ, प्रताप सिंह सिंघवी, बाबू सिंह राठौड़, जसवन्त यादव, पूर्व विधायक अशोक परनामी, राजपाल सिंह शेखावत और प्रह्लाद गुंजल समेत कई विधायक और नेताओं का नाम शामिल है। कहा जा रहा है कि कुछ विधायकों के साथ अभी भी मंत्रणा हो रही है।
बाबा बालकनाथन हुए दौड़ से बाहर!
बाबा बालकनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने एक ट्वीट से बड़े संकेत दिए थे। उन्होंने लिखा था, पार्टी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनता-जनार्धन ने पहली बार सांसद व विधायक बना कर राष्ट्रसेवा का अवसर दिया। चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नजर अंदाज करें, मुझे अभी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है।
आधा दर्जन से ज़्यादा उम्मीदवार
इन दोनों नेताओं के अलावा अश्विनी वैष्णव, किरोड़ी लाल मीणा, राज्य वर्धन राठौड़, बाबा बालक नाथ, गजेंद्र सिंह शेखावत, ओम बिरला, दीया कुमारी, अर्जुन राम मेघवाल और सीपी जोशी का नाम शामिल है। हालांकि पार्टी की तरफ से पहले ही संकेत दिए गए हैं कि विधायकों में से ही नए नेता का चयन किया जाएगा।