बीकानेर। कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित कर्मचारियों की मौत (Corona infected employees died while on duty during the Corona period) को लेकर सरकारी स्तर पर जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही विभागवार आंकड़े भी तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन, इसी बीच बीकानेर में एक अजीब मामला सामने आया है जहां खुद चिकित्सा विभाग ने अपने ही एक संविदा कार्मिक को जीवित और ड्यूटी पर मौजूद होने के बावजूद भी कोरोना से मृत घोषित (Contract personnel declared dead from Corona despite being alive and on duty) कर दिया। राज तब खुला जब समाज कल्याण विभाग कि ओर से राजेश के मोबाइल नंबर पर फोन किया तो वो बोला में “राजेश ही बो रहा हूं”
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की इस बड़ी लापरवाही का आलम यह है कि महाजन के सीएचसी में संविदा लेखाकर्मी के पद पर कार्यरत राजेश ने 27 अक्टूबर 2020 को अपनी कोरोना जांच करवाई थी, 29 अक्टूबर को राजेश की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। विभागीय आदेशों के बाद उसने स्वयं को होम क्वॉरेंटाइन कर लिया था।
2 नवंबर को स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी आंकड़ों में पीबीएम अस्पताल में राजेश के भर्ती होने और इलाज के दौरान मौत होने की जानकारी समाज कल्याण विभाग को भेज दी, जबकि राजेश पीबीएम अस्पताल में भर्ती हुआ ही नहीं और वह घर पर इलाज ले रहा था। अब छह महीने बाद 31 मई को सीएमएचओ ब्लॉक ऑफिस ने आंकड़े जारी कर राजेश को मृत घोषित कर दिया।

अब इस मामले में राजेश ने अपने विभागीय अधिकारियों को बात की और संबंधित दोषी कार्मिकों खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है। साथ ही खुद को मानसिक परेशानी होने की बात भी कही है। राजेश ने बताया कि सोमवार को समाज कल्याण विभाग के लूणकरणसर ऑफिस से फोन आया, जिसके बाद राजेश को इस बात का पता चला कि उसकी सरकारी आंकड़ों में मौत हो गई है।
राजेश ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ये बड़ी चूक है। उन्होंने कहा कि मैं ड्यूटी कर रहा हूं, लेकिन विभाग की गलती की वजह से मुझे काफी मानसिक परेशानी हो रही है। क्योंकि किसी व्यक्ति को जिंदा होने के बावजूद भी मृत घोषित कर देना सामान्य बात नहीं है। वहीं, इस पूरे मामले पर चिकित्सा विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए तथ्यों का पता लगाने की बात कह रहे हैं।