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गरड़दा परियोजना : किसानों के सपनों का बांध पहली बार में 60 फिट पानी भरा, 44 गांवों को मिलेगा पानी

बूंदी। जिले की बहुप्रतीक्षित गरड़दा मध्यम सिंचाई परियोजना का काम पूरा (The much awaited Garada Medium Irrigation Project work completed) हो चुका है और इस वर्ष की बरसात से किसानों के सपनों का बांध पहली बार करीब 60 फिट तक पानी भरा (For the first time, the dam of farmers’ dreams filled with water up to 60 feet.) गया है। इसकी क्षमता 100 फिट से अधिक है, लेकिन पिछले परिणाम को भांपते हुए इसे निर्धारित क्षमता से कम भरा है। अब लगातार निगरानी रखी जा रही है।

गरड़दा मध्यम सिंचाई परियोजना का काम पुर्ण होने से 9161 हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी, 4355 कृषक परिवार लाभान्वित होंगे, 53 किमी लम्बाई की दोनों नहरों से 44 गांवों को पानी मिलेगा। वर्ष 2017 से परियोजना पर पुनः निर्माण शुरू होकर जून 2022 में पुर्ण हुआ। वर्ष 2019 तक पानी रोकने के लिए दीवार खड़ी कि गई। यह दुनिया का ऐसा पहला बांध होगा, जिसकी नींव फिल्म पर टिकी होगी। जिसे जीओ टेक्सटाइल्स के नाम से जाना जाता है। यह पानी को छानने का काम करती है। बांध में पानी के दबाव के दौरान भी दीवारें सुरक्षित रहेंगी।

15 अगस्त 2010 को बांध का करीब 100 फीट ऊंचा एवं 350 फीट चौड़ा हिस्सा पानी के साथ कच्ची मिट्टी की तरह ढह गया था। केंद्रीय जल आयोग से मंजूरी के बाद बांध की पुरानी मिट्टी को हटाकर दुबारा ग्राफ्टिंग की गई। बांध की अंदर की सतह पर हॉल लगाकर सीमेंट भरा गया है। जिसकी गहराई करीबन पांच मीटर व तीन-तीन मीटर की चौड़ाई पर हॉल लगाकर सीमेंट भरा गया है। बांध के अंतिम छोर के हिस्से पर पीचिंग का कार्य किया गया है। बांध के पुनर्निर्माण के लिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने नई डिजाइन जारी की थी। 

परियोजना की लागत डेढ़ सौ करोड़ रुपए आंकी जा रही थी जो पुर्ण होते-होते तीन गुना से अधिक हो चुकी है। निर्माण शुरू हुआ तब इस पर मात्र 53 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ था, लेकिन बांध निर्माण में शुरुआत से ही रुकावटें आती गई। इसी के चलते इस सिंचाई परियोजना को पूरा होने में 20 वर्ष का समय लग गया। साथ ही इसकी लागत भी तीन गुना से अधिक हो गई।

़वर्ष 2017 के अंत में बांध का पुनःनिर्माण कार्य शुरू हुआ, तब कोटा की मोहम्मद कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने बांध के निर्माण कार्य को हाथ में लिया। लेकिन केंद्रीय जल आयोग ने निर्धारित मापदंड से पुनर्निर्माण की सिफारिश की। तब ठेकेदार ने केंद्रीय टीम के अनुसार निर्माण कार्य किया। लेकिन प्रदेश सरकार ने ठेकेदार के करीब पचास करोड़ रुपए रोक लिए। 

गरड़दा मध्यम सिंचाई परियोजना का काम 20 साल में हुआ पूरा
आपको बतादें, 9 सितंबर 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांध का भूमि पूजन किया था। बांध निर्माण कार्य पूरा होने पर वर्ष 2010 के मानसून सत्र में इसमें पानी रोकना शुरू किया। बांध में करीब 60 फीट पानी भरा उसी रात रिसाव शुरू हो गया। बांध तीन दिन बाद 15 अगस्त 2010 को टूट गया। इसके बाद करीब 7 वर्षों तक काम ठप रहा। वर्ष 2017 में फिर फाइलें चली और 2017 के अंत में पुनः काम शुरू हुआ।

यह 44 गांव होगें सरसब्ज़
गरड़दा बांध की 38.72 किमी लंबी बायीं मुख्य नहर से गोपालपुरा, उलेड़ा, खूनेटिया, सीन्ती, रामनगर, खेरुणा, कांटी, उमरथूना, भवानीपुरा उर्फ बांगामाता, मंगाल, तीखाबरड़ा, श्रीनगर, रूपनगर, गरनारा, भीम का खेड़ा, हजारी भैरू की झोपडिय़ां, लाखा की झोंपडिय़ा, सिलोर कलां, हट्टीपुरा, कांजरी सिलोर, बलस्वा, रघुवीरपुरा, अस्तोली, रायता, उमरच, दौलतपुरा, रामगंज बालाजी, छत्रपुरा व देवपुरा तथा 14.79 किमी लंबी दायीं मुख्य नहर से लोईचा, सुंदरपुरा, श्यामू, हरिपुरा, श्रवण की झोंपडिय़ा, मालीपुरा, भैरूपुरा, मण्डावरा, होलासपुरा, बांकी, अनूपपुरा, मण्डावरी, पाकलपुरिया व प्रेमपुरा गांव को सिंचाई के लिए बांध का पानी मिलने लगा है।

 

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