बूंदी। जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के नैनवा और देई क्षेत्र में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले (Scam cases worth crores in Nainwa and Dei areas of Jaipur Vidyut Vitran Nigam Limited) में विधुत विभाग के सेक्रेटरी (एडीएमएन) जगजीत सिंह मोगा ने 30 नवंबर को हाल बूंदी में तैनात कनिष्ठ अभियंता हरीश गुप्ता, इंद्रगढ़ में तैनात सहायक अभियंता शैलेंद्र कुमार गुप्ता और तालेड़ा में नियुक्त सहायक अभियंता योगेश शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित (suspended with immediate effect) करने के आदेश जारी किए है। जिसके चलते इन्हे रिलीव कर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की गई है। मामला विधुत पोल लगाने, लाइन खेचने, मेंटेनेंस और फिटर मेंटेनेंस के नाम पर बिना काम किए करोड़ों रुपए के बिल उठाने का है?।
आपको बतादें कि, तालेड़ा में तैनात सहायक अभियंता योगेश शर्मा और इंद्रगढ़ में सहायक अभियंता शैलेंद्र कुमार गुप्ता नैनवां में कनिष्ट अभियंता पद पर पदस्थापित रहे। जबकि बूंदी में नियुक्त कनिष्ट अभियंता हरीश गुप्ता देई में पदासीन थे।
उक्त मामले को लेकर विधुत विभाग के उच्च अधिकारियों के निर्देश वर्ष 2015 में नैनवा थाने में धारा 420, 406, 120बी आईपीसी में कई अधिकारियो, कर्मचरियों व एक फर्म के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया था। उक्त मामले में सम्मिलित अधिकारियों को विधुत विभाग ने उस वक्त भी निलंबित कर दिया था। इसके बाद सभी को बहाल कर दिया गया था। मामले में अभियोजन स्वीकृति के बाद करीब आधा दर्जन कार्मिको के खिलाफ निलंबन कि कार्यवाही की है।
वर्ष 2014-15 देई में तैनात रहे कनिष्ठ अभियंता हरीश गुप्ता, नैनवां में कनिष्ठ अभियंता के पद पर तैनात रहे योगेश शर्मा व शैलेंद्र कुमार गुप्ता सहित अन्य को विभागीय जांच में दोषी माना था। बताया जा रहा है उक्त मामले में सम्मिलित एक जेईएन ने परिवारिक कारणों के चलते सुसाइड करली हैं। जबकि एक कनिष्ठ अभियंता धूलीलाल को भी निलंबित किया गया है। साथ ही सहायक अभियंता पीएल मीना के खिलाफ पूर्व में कार्यवाही की गई थी, इसके बाद एसीबी में ट्रेप हो जाने के कारण इन्हें टर्मिनेट कर दिया गया है।
अब 30 नवंबर को जारी हुए निलंबन आदेशो के बाद इन्हें शुक्रवार को रिलीव कर दिया गया है। निलंबन काल के दोरान हरीश गुप्ता बारां, शैलेंद्र कुमार गुप्ता कोटा एसी कार्यलय में उपस्थिति देंगे। उक्त मामले में विद्युत विभाग के अधिकारियों से जानकारी चाही तो विभाग का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी जानकारी देने के बजाय मामले से पलड़ा झाड़ता रहा।